जातीय जनगणना

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जातीय जनगणना: ब्रिटिश नीति की छाया और भारतीय समाज का विखंडन

भारत में जातीय जनगणना का इतिहास एक औपनिवेशिक विरासत है, जिसकी जड़ें 1871 में ब्रिटिश शासन द्वारा कराई गई पहली जातिगत जनगणना में हैं। यह न केवल सामाजिक विभाजन का औजार बना, बल्कि भारतीय समाज की गतिशीलता और समरसता को भी बाधित किया। आज जरूरत इस बात की है कि जातीय पहचान को विभाजन के बजाय सामाजिक सशक्तिकरण का माध्यम बनाया जाए — ताकि इतिहास की गलतियों से सीख लेकर एक समतामूलक भविष्य की ओर बढ़ा जा सके।

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कांग्रेस का मुस्लिम तुष्टीकरण और उसके प्रभाव

मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति पर चलते हुये कांग्रेस ने एक और बड़ा निर्णय लिया है। काँग्रेस के नेतृत्व में काम करने वाली तैलंगाना सरकार ने ओबीसी वर्ग केलिये निर्धारित आरक्षण कोटे से मुसलामानों को चार प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा कर दी है। तैलंगाना से जनसंख्या के  आंकड़ों में भी हेरफेर करने के आरोप सामने आ रहे हैं।

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