गणेश पुराण

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भारत में गाणपत्य परंपरा और गणेश उपासना का सांस्कृतिक विस्तार

भारत में गाणपत्य सम्प्रदाय का ऐतिहासिक विकास गणेश उपासना की निरंतर यात्रा है। वैदिक विनायक से पौराणिक गजानन और आधुनिक विघ्नहर्ता तक, यह परंपरा धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का प्रतीक रही है।

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गणपति के नाम और स्वरूप पुराणों से तांत्रिक पूजा तक

उपनिषद काल में भी गणपति की पूजा की परम्परा रही। गणपत्युपनिषद इसका प्रमाण है, जिसमें गणेश जी को कर्ता-धर्ता और प्रत्यक्ष तत्व कहा गया है। जिनके रूपों में साक्षात ब्रह्म व आत्मस्वरूप बताया गया है। स्मृति काल में भी गणेश पूजा का विधान रहा। नवग्रहों के पूजन के पूर्व गणेश की पूजा करने का निर्देश है। इनसे ही लक्ष्मी की प्राप्ति सम्भव होती है। पुराण युग में इस पूजा का उज्ज्वल रूप में उदय हुआ।

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