आपातकाल

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संविधान की प्रस्तावना पर थोपे गए दो शब्द : समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता

आज प्रश्न तो यह भी उभरता है कि धर्मनिरपेक्ष जैसा कोई शब्द होता ही नहीं है – और विशेषतः भारत में तो कोई धर्मनिरपेक्ष हो ही नहीं सकता! हमारी श्रुति, गति, मति, रीति, नीति, प्रवृत्ति, प्राप्ति, स्मृति, कृति, स्तुति – आदि सभी कुछ तो स्थायी रूप से धर्म सापेक्ष है। फिर ‘धर्मनिरपेक्ष’ जैसे ‘अशब्द’ की भला भारत में क्या आवश्यकता है?

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futuredछत्तीसगढ

आपातकाल स्मृति दिवस पर लोकतंत्र सेनानियों को मुख्यमंत्री ने किया सम्मानित

मुख्यमंत्री श्री साय ने इस अवसर पर लोकतंत्र सेनानियों को सम्मानित किया। कार्यक्रम में उन्होंने श्री सच्चिदानंद उपासने द्वारा लिखित पुस्तक ‘वो 21 महीने: आपातकाल’ का भी विमोचन किया।

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futuredसम्पादकीय

आपातकाल से आत्मनिर्भर भारत तक की यात्रा

आपातकाल से सबक लेकर आज भारत की आत्मा जाग चुकी है। चाहे राष्ट्र की सीमाओं की रक्षा हो, आतंकवाद को मुंहतोड़ जवाब हो या सांस्कृतिक पुनर्जागरण हो, भारत अपने निर्णयों के आत्मनिर्भर एवं अडिग है।

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futuredताजा खबरें

लोकतंत्र की रक्षा हेतु आपातकाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भूमिका

आपातकाल में सबसे अधिक दबाव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर था। संघ पर प्रतिबंध लगा। सभी प्रमुख प्रचारक और दायित्ववान अधिकारी

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futuredताजा खबरें

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का सुप्रीम कोर्ट पर फिर हमला: “सर्वोच्च सत्ता संसद, संविधान के मालिक जनप्रतिनिधि”

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि संसद सर्वोच्च संस्था है और संविधान का अंतिम निर्णय चुने हुए जनप्रतिनिधियों का अधिकार है। उन्होंने अनुच्छेद 142 के प्रयोग को “परमाणु मिसाइल” बताते हुए न्यायपालिका पर लोकतांत्रिक संस्थाओं में हस्तक्षेप का आरोप लगाया। विपक्ष और न्यायिक हलकों में इस बयान को लेकर तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली है।

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futuredखबर राज्यों से

आपातकाल देश के इतिहास का काला अध्याय : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने 21 मार्च को भारत के लोकतंत्र के लिए ऐतिहासिक दिन बताय। उन्होंने कहा कि आपातकाल भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का काला अध्याय है, और 21 मार्च 1977 वह दिन है जब देश ने तानाशाही के विरुद्ध जीत दर्ज की थी। उन्होंने कहा कि यह केवल एक राजनीतिक बदलाव नहीं था, बल्कि भारत के नागरिकों की आस्था, साहस और संघर्ष की विजय थी।

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