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वनवासियों के मसीहा क्रान्तिकारी अल्लूरी सीताराम राजू का बलिदान

अन्य साथियों के नाम पूछे गये । कठोर यातना सहकर भी उन्होंने किसी का नाम न बताया । अंततः उस महान क्रांतिकारी को नदी किनारे ही एक वृक्ष से बांधकर भून दिया गया । इस बलिदान के साक्ष्य थे गोदावरी नदी और नल्लईमल्लई की पहा़डयां हैं ।

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आत्म गौरव और आत्म सम्मान के साथ आगे बढ़ रहा है, छत्तीसगढ़ का आदिवासी समाज: डॉ. रमन सिंह

शिक्षा और स्वावलंबन तथा प्रकृति से जुड़ी अपनी संस्कृति और परम्परा को और अधिक मजबूत बनाकर समाज और आगे बढ़े। मुख्यमंत्री ने कहा कि वनों की रक्षा कर प्रकृति के संरक्षण में आदिवासी समाज का महत्वपूर्ण योगदान है।

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