आचार्य ललित मुनि

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रेलिया बैरन पिया को लिए जाए रे : रेल दिवस विशेष

भारत रुपी शरीर की धमनियाँ मैं रेलगाड़ी को ही मानता हूँ, जिस तरह शरीर में रक्त प्रवाह बनाए रखने में धमनियों का योगदान होता है उसी तरह भारत को चलाने के लिए रेलगाड़ियों का मुख्य भूमिका है। वर्तमान काल में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा, जिसने रेलगाड़ी देखी न होगी या उसकी सवारी न की होगी। भारत में रेलगाड़ी के संचालन का अपना एक इतिहास रहा है।

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युवाओं के लिए बल, बुद्धि और भक्ति के प्रेरणा स्रोत : हनुमान जी

हनुमान जयंती केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह युवाओं के लिए आत्म-जागरण का अवसर है। इस दिन हनुमान जी के गुणों को याद करके और उन्हें अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लेकर युवा अपने जीवन को नई दिशा दे सकते हैं।

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आज की दुनिया के लिए शांति और संतुलन का रास्ता : महावीर स्वामी का दर्शन

महावीर स्वामी, जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर, एक महान आध्यात्मिक गुरु और समाज सुधारक थे, जिनकी शिक्षाएं आज भी उतनी ही सार्थक और प्रासंगिक हैं, जितनी उस समय थीं, जब उन्होंने इन्हें समाज के समक्ष रखा।

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ननिहाल छत्तीसगढ़ में राम तत्व

भारत के मानचित्र में हृदय स्थल पर छत्तीसगढ़ प्रदेश स्थित है। लोक मान्यता है कि यहाँ भगवान राम ने वनवास काल के चौदह वर्षों में से दस वर्ष बिताए। यह एक ऐसा स्थान है कि जहाँ का वातावरण आपको राममय दिखाई देता है। सारा अंचल राम नाम से ओतप्रोत है। भगवान राम भी यहाँ आए और यहीं के होकर रह गए। ऐसे रचे बसे कि यहाँ की संस्कृति के रोम-रोम में समा गए। कण कण में राम तत्व समाहित हो गया। 

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भारत की आत्मा को जीवंत करने वाला कलाकार: मनोज कुमार

मनोज कुमार की पहचान उनकी देशभक्ति की फ़िल्में बनी, मनोज कुमार ने अपने करियर में देशभक्ति को अपनी फिल्मों का मुख्य आधार बनाया। उनकी फिल्में केवल मनोरंजन तक सीमित नहीं थीं, बल्कि वे समाज को जागरूक करने और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने का माध्यम भी बनीं। “शहीद” में भगत सिंह की शहादत, “उपकार” में किसान और जवान की एकता, “पूरब और पश्चिम” में भारतीय संस्कृति की महिमा, और “क्रांति” में स्वतंत्रता संग्राम की भावना को उन्होंने पर्दे पर जीवंत किया।

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शिव तत्व की लोक जीवन में व्यापकता

लोक में शिव तत्व जीवन की सहजता, सरलता, और व्यापकता को दर्शाता है। वे एक ऐसे ईश्वर हैं जो आडंबर से दूर हैं, जो सबको स्वीकार करते हैं, जो सृजन, पालन और संहार तीनों को साधते हैं। लोकमानस में शिव केवल एक देवता नहीं, बल्कि जीवन और अस्तित्व के सत्य का प्रतीक हैं। यही कारण है कि शिव हर गाँव, हर संस्कृति, और हर व्यक्ति के हृदय में बसते हैं।

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