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अनिल अंबानी और RCom पर CBI का शिकंजा, SBI को ₹2000 करोड़ से अधिक की बैंक धोखाधड़ी का आरोप

नई दिल्ली, 23 अगस्त: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) और इसके प्रमोटर निदेशक अनिल अंबानी के खिलाफ एक कथित बैंक धोखाधड़ी मामले में प्राथमिकी दर्ज की है। इस धोखाधड़ी से भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। शनिवार को अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की।

CBI की टीम ने अनिल अंबानी के निवास सहित RCom से जुड़ी कई संपत्तियों पर तलाशी अभियान चलाया। यह कार्रवाई SBI द्वारा दायर की गई उस शिकायत के बाद की गई है, जिसमें बैंक ने कंपनी और उसके प्रमोटर को रिज़र्व बैंक की धोखाधड़ी से जुड़ी गाइडलाइंस के तहत ‘फ्रॉड’ घोषित किया था।

बैंक की देनदारी और मामला

आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार, SBI का RCom में फंड आधारित बकाया ₹2,227.64 करोड़ (26 अगस्त 2016 तक) है। इसके अलावा ₹786.52 करोड़ की गैर-फंड आधारित बैंक गारंटी भी शामिल है।

गौरतलब है कि रिलायंस कम्युनिकेशंस वर्ष 2019 से कॉरपोरेट इन्सॉल्वेंसी रिजोल्यूशन प्रोसेस (CIRP) से गुजर रही है। मार्च 2020 में ऋणदाताओं की समिति (Committee of Creditors) द्वारा एक समाधान योजना को मंजूरी दी गई थी और इसे मुंबई स्थित राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) के पास प्रस्तुत किया गया था, लेकिन अभी तक अंतिम निर्णय लंबित है। इस बीच, SBI ने अनिल अंबानी के खिलाफ व्यक्तिगत दिवालियापन की कार्यवाही भी शुरू की है, जिसकी सुनवाई NCLT, मुंबई में चल रही है।

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मामले की कानूनी पृष्ठभूमि

इस मामले की शुरुआत नवंबर 2020 में हुई थी, जब SBI ने RCom और अनिल अंबानी के खातों को ‘फ्रॉड’ घोषित किया था और जनवरी 2021 में CBI को शिकायत दी थी। लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट के स्टेटस क्वो आदेश के चलते जांच पर विराम लग गया था।

बाद में मार्च 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि किसी खाते को धोखाधड़ी घोषित करने से पहले उधारकर्ता को अपनी बात रखने का अवसर दिया जाना चाहिए। इस फैसले के बाद SBI ने सितंबर 2023 में अपनी ‘फ्रॉड’ की घोषणा वापस ले ली थी। हालांकि, सभी प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद जुलाई 2024 में फिर से खातों को ‘फ्रॉड’ के रूप में चिन्हित कर दिया गया।

CBI की नई पहल से तेज हुई जांच

CBI द्वारा आधिकारिक मामला दर्ज करने और तलाशी शुरू करने के साथ ही यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। इसे हाल के वर्षों के सबसे बड़े कॉर्पोरेट घोटालों में से एक माना जा रहा है।

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