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सरकार की 31 मार्च 2026 की डेडलाइन के तहत माओवादियों पर दबाव बढ़ा, आत्मसमर्पण का विकल्प ही बचा

देश से माओवादी गतिविधियों को समाप्त करने के लिए सरकार द्वारा 31 मार्च 2026 तक का समय तय किया गया है और अब इस डेडलाइन तक केवल पाँच महीने से भी कम का समय बचा है। इसी बीच माओवादी संगठन अपनी रणनीति बदलते हुए नजर आ रहे हैं। यह जानकारी संगठन द्वारा जारी पत्रों और हालिया प्रेस नोट से सामने आई है।

उड़ीसा स्टेट कमेटी ने हाल ही में जारी प्रेस नोट में माओवादी नेता देवजी के पोलित ब्यूरो महासचिव बनने के दावे को खारिज कर दिया। वहीं, तेलंगाना स्टेट कमेटी ने अपना शांति-पहल (युद्धविराम) छह महीने और बढ़ाने का एलान किया है। दूसरी ओर, दंडकारणिया (Dandakaranya) स्पेशल जोनल कमेटी माओवादी नेताओं भूपति और रूपेश के आत्मसमर्पण के बाद कमजोर हो गई है। ये दोनों नेता विशेष रूप से छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में माने जाते थे।

सुरक्षा बलों ने भी रणनीति बदलते हुए स्पष्ट किया है कि अब शीर्ष माओवादी नेताओं के पास केवल आत्मसमर्पण का ही विकल्प बचा है। बस्तर में तैनात आईजी सुंदरराज पी. ने कहा कि सुरक्षा बल बचे हुए माओवादियों को भागने की अनुमति नहीं देंगे और आवश्यकता पड़ने पर बड़े स्तर पर संयुक्त अभियान भी चलाया जा सकता है। उन्होंने चेतावनी दी कि किसी भी माओवादी द्वारा हिंसा जारी रखने पर कड़ी कार्रवाई होगी।

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साल 2025 माओवादी संगठन के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहा। इस साल कई मुठभेड़ों में पोलित ब्यूरो और केंद्रीय समिति के करीब 9 शीर्ष सदस्य मारे जा चुके हैं। वहीं पोलित ब्यूरो सदस्य भूपति (उर्फ वेणुगोपाल), महाराष्ट्र के केंद्रीय समिति सदस्य रूपेश, और तेलंगाना के केंद्रीय समिति सदस्य सुजाता व पुल्लुरी प्रसाद राव (उर्फ चंद्रन्ना) का आत्मसमर्पण संगठन के लिए बड़ा झटका रहा। यही कारण माना जा रहा है कि संगठन को अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ा।

नारायणपुर के माड़ में पोलित ब्यूरो महासचिव बसवराजू के मारे जाने के छह महीने बाद भी संगठन इस पद पर नई नियुक्ति नहीं कर पाया, जिससे उसकी शीर्ष कमान कमजोर नजर आ रही है। हाल ही में बस्तर दौरे पर आए राज्य के गृहमंत्री विजय शर्मा ने संकेत दिए कि दुरदंत माओवादी और केंद्रीय समिति के सदस्य हिड़मा से जुड़ी गतिविधियों पर जल्द ही सकारात्मक खबरें मिल सकती हैं। सरकार के सूत्रों के अनुसार शीर्ष कैडरों को आत्मसमर्पण का अल्टीमेटम दे दिया गया है।

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बस्तर के IG सुंदरराज पी. ने कहा कि किसी भी माओवादी के साथ कोई संकोच नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि कोई माओवादी हिंसा छोड़कर आत्मसमर्पण करना चाहता है तो उसका स्वागत किया जाएगा और समाज में उसे स्वीकार किया जाएगा। वर्तमान में लगभग 2,000 माओवादी पहले ही आत्मसमर्पण कर चुके हैं। बाकी सभी माओवादियों के पास भी यही विकल्प बचा है।

सुरक्षा बलों का संदेश स्पष्ट है: अब समय खत्म हो चुका है, और हिंसा जारी रखने वाले माओवादी गंभीर परिणाम भुगतेंगे।