छत्तीसगढ

बस गति में थी और अचानक चालक के सीने में दर्द हुआ

दुर्घटनाएं कह कर नहीं आती, अचानक घटती हैं। पर जब वाहन चलाते हुए किसी को सड़क पर ही हृदयघात आ जाए तो क्या हो? सोचकर ही मन घबराने लगता है। ऐसी ही एक घटना कवर्धा से दुर्ग तक चलने वाली बस सेवा के चालक श्री संतोष पात्रे के साथ हुआ।
जब वो कवर्धा से बस लेकर चला तो सब ठीक था। बस में 30-40 सवारियाँ थी। वह कवर्धा से सहसपुर लोहारा होते हुए दुर्ग के लिए रवाना हुआ। सहसपुर से सवेरे साढ़े सात बजे जैसे ही बस लोहारा के लिए रवाना हुई, एक किमी दूर जाने पर चालक के सीने में दर्द शुरु हो गया।
सीने में अचानक भयंकर दर्द के बावजूद उसने बस की रफ़्तार को काबू किया तथा जैसी भी हालत रही होगी, उसी हालत में बस को नियंत्रित कर एक स्थान पर खड़ी किया। यात्रियों ने हालात देखकर पुलिस को सूचना दी, जहां से 108 एम्बुलेंस से उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र लाया गया। वहाँ चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया।
चलती बस में हृदयघात होने पर भी वाहन चालक संतोष पात्रे ने सवारियों को बचाने का महत्वपूर्ण कार्य किया। भले ही खुद की जान चली गई, पर 30-40 यात्रियों को दुर्घटना से बचा लिया। इस कर्तव्यनिष्ठटा से प्रभावित होकर प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने उसके परिवार को एक लाख रुपए की सहायता देने की घोषणा की।
मुख्यमंत्री ने उनकी कर्तव्यपरायणता की तारीफ करते हुए कहा है कि स्वर्गीय श्री पात्रे ने अचानक हृदयाघात होने के बावजूद अपनी जान पर खेलकर लगभग 30 से 40 यात्रियों से भरी बस को सुरक्षित रोककर सभी यात्रियों को एक बड़ी दुर्घटना से बचा लिया और उनके प्राणों की रक्षा की। यह उनकी कर्त्तव्यनिष्ठा और सेवाभावना का परिचायक है, जो सभी लोगों के लिए अनुकरणीय है।

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