संतोष मिश्रा : जीवन का सम्पूर्ण पाठयक्रम है घुमक्कड़ी
घुमक्कड़ जंक्शन पर आज आपसे मुलाकात करवा रहे हैं लखनऊ निवासी गृह निर्माण व्यवसाय में संलग्न संतोष मिश्रा से। कहना चाहिए कि ये अग्रिम श्रेणी के ही घुमक्कड़ हैं, इन्होंने से कुछ वर्षों में परिवार के साथ भारत के प्रमुख स्थानों को अपनी चार चकिया से नाप लिया, साथ ही ये कहते हैं कि जीवन का सम्पूर्ण पाठ्यक्रम घुमक्क्ड़ी है, जो एक हद तक सही भी है, जो आप स्वयं अपनी दृष्टि से सीख पाएंगे, वह किताबें नहीं सिखा पाती। आज इनसे चर्चा करते हैं और जानते हैं इनके घुमक्कड़ी के सफ़र के विषय में………1 – आप अपनी शिक्षा दीक्षा, अपने बचपन का शहर एवं बचपन के जीवन के विषय में पाठकों को बताएं कि वह समय कैसा था?
@ नमस्कार ललित जी ..आभार आपका कि हमें इस योग्य समझा।
मूलतः हम लखनऊ से ही हैं, यही पले बढ़े और पढ़े हैं, लखनऊ विश्वविद्यालय से ही Bcom और LLB किया। बचपन तो मस्ती और शरारत में गुजर गया। दोस्तों की एक टीम थी जो आज भी है, क्रिकेट और शतरंज मेरे पसंदीदा खेल रहे हैं। अब भी क्रिकेट देख लेता हूँ और शतरंज मोबाइल पर खेल लेता हूँ। गुल्ली डंडा ..पतंग ..कंचे .. सब बहुत प्रिय थे। हफ्ते में चार पाँच बार पिटाई होती थी।
पर बचपन के दिन अलग ही थे, नाना जी के यहाँ छुट्टियों में जाते थे , गाय भैंस को चराने ले जाना, तालाब में नहाना, पेड़ों पर चढ़ना फ़िर कूदना, इतनी मस्ती कि हमेशा बीमार होकर ही आते थे। आम अमरूद के बागो में मजे लेते थे। पढ़ने में ठीक था तो सीधे तीसरी कक्षा में प्रवेश दिलाया गया, दीदी के साथ। उनकी छुट्टी होती थी तो हम भी जिद करके नही जाते थे। जिंदगी की रफ्तार कम थी, पर खूब बारिश होती थी खूब भीगते भी थे।
2 – वर्तमान में आप क्या करते हैं एवं परिवार में कौन-कौन हैं ?
@ परिवार में मैं पत्नी और एक बेटा है, ग्रेजुएशन के बाद से ही tax और अकाउंट के प्रोफेशन में था, कुछ पूँजी बनी तो बिज़्नेस में आ गया। लोगों का घर बनाने के लिये प्लॉट बेचने का छोटा मोटा व्यवसाय है जिसमे मैं 2010 से हूँ और अब इसी में रमे हैं।
3 – घूमने की रुचि आपके भीतर कहाँ से जागृत हुई?
@ 1994-95 के आसपास हम सारे दोस्त छोटी लाइन की ट्रेन से प्रति वर्ष 4 अप्रैल को पूर्णा गिरि माता (जो अब उत्तराखंड के चम्पावत में हैं ) के दर्शन को जाया करते थे। कोई ज्यादा जानकारी नही होती थी तब, फ़िर वैष्णो देवी, फ़िर मेहन्दीपुर बालाजी यानि धार्मिक यात्रा ही कर पाते थे पर मन में तमन्ना तो थी ही। फ़िर मौके मिले और हमने थोड़ा भारत देख ही लिया।
4 – घुमक्कड़ी से आप क्या समझते हैं?
@ मेरी नज़र में घुमक्कड़ी जीवन का सम्पूर्ण पाठयक्रम है ,जिसमे आप कई विषय पढ़ते हैं, समझते हैं, पास होते हैं, फेल होते हैं, फ़िर दूसरो को पढ़ाते हैं ..और बार बार पढ़ना चाहते हैं …जीवन को सही मायनों में जानना हो तो लोगों के और जगहों के पास जाकर ही जाना जा सकता है। किताबों से सीख तो सकते हैं पर वास्तविकता में दुनियाँ को आप सिर्फ तभी जान सकते हैं जब आपने उसे देखा हो महसूस किया हो।
5 – उस यात्रा के बारे में बताएं जहाँ आप पहली बार घूमने गए और क्या अनुभव रहा?
@ ऐसे तो कई बार घूमने गये थे पर बात 2013 की है जब हम कई दोस्त परिवार संग तीन बड़ी गाडियों से बाई रोड टूर पर गये थे। तब ज्यादा जानकारी न होने के कारण कई महत्वपूर्ण स्थान रह गये पर मध्यप्रदेश, गोआ और महाराष्ट्र के कई मील के पत्थर छू लिये थे। सबसे महत्वपूर्ण ये कि “घुमक्क्डी की लत” साथ लेकर आये। इन 13 दिनो के दौरान हमने जाना कि भारत कितना विशाल है और रहन सहन रीति रिवाज़ कैसे हैं। द्वादश ज्योतिर्लिंग के साथ साथ भारत के अन्य मंदिरों के बारे में जानकारी जुटानी शुरू की। यही से हाईवे पर ड्राइविंग का चस्का लगा, महाबलेश्वर पश्चिमी घाट की पहाडियों पर तो पहाड़ पर गाड़ी चलानी सीखी।
6 – घुमक्कड़ी के दौरान आप परिवार एवं अपने शौक के बीच किस तरह सामंजस्य बिठाते हैं?
@ सच कहूँ तो इस मामले में मैं बहुत खुश किस्मत हूँ परिवार मेरा खुद ही सामंजस्य बिठा लेता है। धर्मपत्नी को ईश्वर में अंध विश्वास है तो उनको दर्शन मिलने चाहिये बाकी सब मंजूर। बेटा साल भर मेहनत से पढाई करता है ताकि छुट्टियों में टूर पर जायें, तो मुझे कोई सामंजस्य नही बिठाना होता है। वो दोनो ही मुझसे पहले तैयार रहते हैं। वैष्णो माता और अमरनाथ जी को छोड़ सारी यात्रायें अपनी गाड़ी से ही हुई हैं तो बैग रखना और अन्य सब काम दोनो मिलकर बखूबी कर लेते हैं मुझे तो बस ड्राइव ही करना होता है। हर यात्रा में ही अगली यात्रा तय कर लेते हैं दोनो मिलकर।
7 – आपकी अन्य रुचियों के साथ तीन घुमक्कड़ों के नाम बताइए जिनके घुमक्कड़ी लेखन ने आपको प्रभावित किया?
@ मेरी अन्य रूचियां कार्ड्स खेलना, दोस्तों के साथ समय बिताना, टिम्बर पर खाना बनाना, किताबें पढ़ना, नेट पर समय बिताना हैं और फोटोग्राफी।
ड्राइविंग मेरा शौक है कोशिश है कि भारत के अधिकतर नेशनल हाईवे तो नाप ही डालूं। गाड़ी मैं अकेले ही ड्राइव करता हूँ उसमे कोई समझौता नही, मंजिल चाहे कन्या कुमारी भी थी।
तीन समकालीन घुम्क्कड में, एक तो संदीप पंवार जाट देवता हैं जिनके ब्लॉग खूब पढ़े हैं मैंने ।जबरदस्ती मेरा ब्लॉग भी बनवा दिया संदीप भाई ने (travel on wheels जिसमे मैं अभी दक्षिण भारत यात्रा 2017 लिख रहा हूँ)। दूसरे ललित शर्मा जी, जिनको वास्तव में लेखन के साथ साथ इतिहास का भी ज्ञान है और जंगल में मेरी तरह ही दिलचस्पी है। तीसरे तरुण गोयल जी जो सायकिलिंग के मास्टर हैं।
8 – क्या आप घुमक्कड़ी को जीवन के लिए आवश्यक मानते है?
@ जी हाँ आवश्यक है, आप जिस कार्य में लगे हैं उसमे एकरसता की वजह से जीवन में नीरसता आ जाती है फलस्वरूप आपके कार्य निष्पादन की क्षमता कम होती जाती है, घुमक्क्डी से आप तरोताजा होकर फ़िर से तल्लीनता से कार्य में जुट जाते हैं। विदेशों के बारे में मैंने पढ़ा है, लोग लोन लेकर घूम आते हैं फ़िर चुकाते हैं। दूसरे देश दुनिया को हम नज़दीक से जान पाते हैं।
9 – आपकी सबसे रोमांचक यात्रा कौन सी थी, अभी तक कहाँ कहाँ की यात्राएँ की और उन यात्राओं से क्या सीखने मिला?
@ हर यात्रा खुद में रोमांच लाती है, पर सबसे रोमांचक यात्रा थी, कोल्हापुर से गोआ। सुमित भाई की xylo थी उस दिन मेरे पास। कोल्हापुर से ही साथ की दोनो गाडियां अलग हो गयी map my india के नेविगेशन की वजह से। हम वाया गगनबावडा आ रहे थे जब कि वो राधा नगरी होकर आ रहे थे। इतने खूब सूरत दृश्य थे कि पूछो मत, कितने ही झरने रोड पर थे, कनकवली में हम मिल लिये। रुकते रूकाते देर हो गयी। धेरी रात के 11 बजे थे, भयानक बारिश हो रही थी, खतरनाक पहाडी रास्ते पर मैं पहली बार गाड़ी चला रहा था, क्योंकि ड्राइवर ने पहाडी रास्तों पर हाथ खड़े कर रखे थे, मोबाइल में नेटवर्क नही थे क्यों कि जंगल में थे, गाड़ी में मैं बीबी, बेटा और ड्राइवर ही थे। नेविगेशन ने फ़िर से एक जगह पुराने रास्ते पर गाड़ी टर्न करवा दी। जबकि यही से खूब चौड़ा रास्ता था, साथ की दोनो गाडियां उसी से निकल गयी। अब पहाड़ के हेयरपिन बैंड गाड़ी की नेविगेशन स्क्रीन में दिख रहे थे। मैं बता नही सकता कि गाड़ी किस स्पीड में घुमाता था मैं, उन मोड़ पर। बहुत गहरी खाइयां थी और रोड पर पानी ही पानी, एक जगह सिगनल दिखे, फोन कर दोनो गाडियां रुकवाई और फ़िर 12 बजे हम पणजी पुल पर पहुँचे। बारिश की स्पीड इतनी थी कि पुल पर पानी और नीचे तो पानी था ही, सच वो दिन कभी नही भूलेगा उसके बाद रात में कही भी चलने में डर नही लगता।
अपनी यात्रायें:-
कहाँ से शुरू करूँ? उत्तर भारत- up में ..वाराणसी,भंडारी देवी विंध्यवासिनी देवी मिर्जापुर, इलाहाबाद, आगरा, मथुरा, वृंदावन, दुधवा और कतर्नीया घाट टाइगर रिजर्व। राजस्थान में मेहन्दीपुर बालाजी, कैलादेवी, मदन गोपाल जी करौली, जयपुर, पुष्कर, खाटू श्याम जी, सालासर बालाजी, अजमेर शरीफ, रण थम्भौर किला और टाइगर रिजर्व, नाथद्वारा उदयपुर, सेवेन वंडर कोटा, चित्तौड़गढ़ किला, सांवलिया सेठ जी। दिल्ली अक्षरधाम, कुतुबमीनार, राजघाट। जम्मू कश्मीर में वैष्णो देवी, पटनीटॉप, श्रीनगर, डल लेक, अमरनाथ जी। हिमाचल प्रदेश, पाँचों देवियां, मनाली, रोहतांग पास। उत्तराखंड में, पुर्णागिरि माता चम्पावत, नैनीताल, हरिद्वार, ऋषिकेश, मुँसियारी, पातालभुवनेश्वर, पिथौरागढ़, पूर्वी एवम उत्तरी भारत में सिक्किम में नामची, गंगटोक, नथूला पास, पश्चिम बंगाल, मिरिक, दार्जिलिंग, बंगाल सफ़ारी सिलिगुड़ी, उड़ीसा में गोपालपुर, चिलिका लेक, पुरी, लिंगराज़, नँदन कानन भुवनेश्वर, बैजनाथ धाम देवघर झारखंड, मध्य एवम पश्चिमी भारत में महाकालेश्वर उज्जैन, ओमकारेश्वर, खजुराहो, चित्रकूट, मैहर देवी, अमरकंटक, बान्धवगढ़ टाइगर रिजर्व, जबलपुर, भीम बेटका गुफाये भोपाल, ओरछा, दतिया, रतन गढ़, छिंदवाडा ।
महाराष्ट्र में नासिक त्रय्म्बकेश्वर, शिरडी, शनि सिग्णापुर, महाबलेश्वर, कोल्हापुर महालक्ष्मी जी, मुम्बई, रामटेक, पेंच टाइगर रिजर्व नागपुर, सोलापुर में शिवयोगी सिद्धरामेश्वर। गुजरात में अम्बा जी, हाटकेश्वर, बिंदु सरोवर, पाटन, रानी की वाव, जंगली गधों का अभ्यारण छोटा कच्छ, माता आशापुरा, पाकिस्तान बॉर्डर पर स्थित नारायण सरोवर, कोटेश्वर महादेव, लखपत किला, कच्छ का महान रण, द्वारकाधीश, नागेश्वर जी, भेंट द्वारका, पोरबंदर, मूल द्वारका, सोमनाथ, कनकाइ माता गीर के जंगल में, रणछोड़ राय डाकोर जी, शामलाजी। दक्षिण भारत आंध्र प्रदेश में, श्री सैलम, तिरुपति बाला जी, श्री काल हस्ती (वायु लिंग ), कनक दुर्गा मल्लेश्वर स्वामी विजयवाड़ा, सिंहांचलम विशाखापटनम, तमिलनाडु में mgm dizzee world, चेन्नई, महाबलीपुरम, कामाक्षी देवी शक्तिपीठ एवम एकाम्बरेश्वरनाथार, पृथ्वी लिंग कांचीपुरम, गोल्डेन टेंपल वेल्लोर, अग्नि लिंग थिरूअन्नामलाई, थिलई नटराज आकाश लिंग चिदम्बरम, मैनग्रोव जंगल पीचावरम, कूम्भ्कोनम, वर्ल्ड हेरिटेज चोल टेंपल दारासुरम एवम थँजावुर ,रंगनाथ स्वामी श्री रंगम, जम्बुकेश्वरा जल लिंग त्रिचि, मीनाक्षी अम्मन मदुरै, रामेश्वरम, कन्या कुमारी, ऊटी। केरल में पद्मनाभम स्वामी, ठेक्कडी, मून्नार, कर्नाटक में हम्पी, पम्पा सरोवर, किष्किंधा पर्वत, बन्दीपुर टाइगर रिजर्व, बीजापुर गोल गुम्बद, इतनी याद आ रही अभी ।
इन यात्राओं से हमने भारत की विविधता को सीखा। भारत की एकता को देखा जितनी त्राहिमाम सोशल मीडिया पर मचाये हैं उसका दशाँश भी वास्तविकता में नही।
10 – घुमक्कड़ों के लिए आपका क्या संदेश हैं?
@ खूब घूमिये …जी भर के। जब भी घर से बाहर तीन दिन से ज्यादा के लिये निकलिये तो रूट ऐसा प्लान करिये कि एक साइड से जाइये तो दूसरे से वापस आइये, इस तरह आप एक ट्रिप में दो ट्रिप करके आयेंगे। घुमक्क्डो को वापसी यात्रा बोझ लगती है इस तरह आप की दिलचस्पी आखिर तक बनी रहेगी। एक दूसरे का सहयोग करते रहिये।
सबसे पहले तो ललित शर्मा जी को आभार हर दिन नए घुमक्कड़ों से मिलवाने के लिए। अब संतोष भाई जी की बात, भाई जी हमारा और आपका परिचय दो महीने से है पर कुछ ज्यादा नहीं पता था, पर आज सब पता लग गया, आपकी घुमक्कड़ी का कोई जवाब ही नहीं, अब तो लगता है कि एक यात्रा आपके साथ करना ही पड़ेगा, और आपके तरफ से आॅफर भी मिल चुका हैं, और इसी बहाने एक मुलाकात भी हो जाएगी
वाह शानदार……संतोष जी दूसरे पहलू से आज रूबरू करवाने के लिए साधुवाद
आभार ललित भाई जी
इतना सम्मान बढ़ाने के लिए..।
अग्रिम श्रेणी में जगह देने के ..।
अभिभूत हूँ दादा ।
धन्यवाद आपका ।
Abhayanand sinha bhai
Dhanywad aapka
बिल्कुल भाई हम आपके साथ जरूर चलेंगे ।
Mahesh भाई
धन्यवाद ।
संतोष जी आपकी घुमक्कड़ी का जवाब नही है आप घुमक्कड़ी की दुनिया में एक चमकता सितारा हो और हम सब घुमक्कड भाइयो की तरफ से बहुत बहुत शुभकामनाये व बधाई ??
जबरदस्त घुम्मकड़ी सन्तोषभाई जी की तरफ से
ललित भाई जी का धन्यवाद जो सभी घुम्मकड़ भाईयो से मिलवाने के लिए
संतोष भाई बड़े घुम्मकड़ है और साधुवाद भी इनकी घुम्मकड़ी का हिस्सा है बहुत ही बढ़िया और शानदार परिचय
बहुत ग़ज़ब घुमक्कड़ से मिलवाने के लिए ललित जी का आभार ।
बहुत अच्छा लगा मिश्रा जी आपके बारे में जानकर । मज़ा आ गया ।
धन्यवाद संजय जी ।
बहुत बहुत आभार गुरूदेव…मिश्रा जी के बारे मे बताने के लिए।
आभार अनिल भाई
संतोष मिश्रा जी से नया – नया परिचय है और उस परिचय को प्रगाढ़ करने में इस प्रेरक साक्षात्कार का बहुत बड़ा हाथ रहेगा, ऐसी आशा है। आपकी रोमांचक यात्रा का विवरण सुन कर वास्तव में रोंगटे खड़े हो गये! आपने तो वास्तव में ही लगभग पूरा हिन्दुस्तान नाप डाला है। बधाई और अगली यात्राओं हेतु हार्दिक शुभ कामनाएं ! परिवार के सदस्यों को यथायोग्य अभिवादन।
धन्यवाद भाई जी
हिंदुस्तान बहुत बड़ा है
अभी बहुत घूमना है।
बहुत खूब मिश्रा जी से परिचय कराने के लिए !! बहुत बड़े घुमक्कड़ हैं मिश्रा जी !! शुभकामनाएं और आभार आपका ललित जी
योगी जी आभार आपका
आप तो यात्राओं का एन्साइक्लोपीडिया है संतोष जी. बहुत ही रोचक है आपका यायवरी जीवन. शुभकामनाए!
बहुत बढ़िया संतोष भाई??
आज आपसे हमारा परिचय पुराना होने के साथ ही प्रगाढ़ हो गया है आपसे मुलाकात की जल्द अपेक्षा है ऐसे ही यात्रा करते रहिए और अपने लाजवाब अनुभव से हमें रूबरू कराते रहिए। ललित शर्मा जी का धन्यवाद इस अभिनव कार्य के लिए जो हमारे ब्लाॅगर भाईयों में एक जोश और प्रेरणा भर रहा है।
सम्पूर्ण जीवन ही यात्रा है। अपने संतोष सर का यात्रा विवरण जिस तरीके से दिया है। हैम बाकी यात्रियों लेखको के लिए ये एक उदाहरण हैं। आगामी यात्रा और सम्पूर्ण जीवन की ढेरों शुभकामनाये।