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ऐसा देवीस्थान जहाँ मन्नत पूर्ण होने पर अपने वजन के बराबर गुड़ चढ़ाया जाता है

भारत में एक ऐसा मंदिर भी है, जहाँ मन्नत पूर्ण होने पर अपने वजन के बराबर गुड़ चढ़ाया जाता है। छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्य तेलंगाना के मेडाराम में एशिया का सबसे बड़ा आदिवासी मेला भरता है। यह स्थान छत्तीसगढ़ के बीजापुर से लगभग 170 किमी की दूरी पर है।

तेलंगाना के वारंगल जिले के मेडाराम में समक्का सारक्का देवी का मंदिर है। यहाँ दो बरस में सबसे बड़े आदिवासी मेले (जातरा) का आयोजन होता है, जिसमें छत्तीसगढ़ एवं तेलंगाना सहित अन्य राज्यों से भी बड़ी संख्या में श्रद्दालु आते हैं। यहाँ  बाहर के राज्यों से श्रद्धालु मेले के दस दिन पहले से ही पहुंचना प्रारंभ कर देते हैं।

मान्यता है कि इस मेले में नि:संतान दंपत्तियों की मन्नतें पूरी होती है तथा मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालु अपने वजन के बराबर गुड़ माता को चढ़ाते हैं। भक्त यहाँ गुड़ को सोना मानते हैं तथा सोने के तौर पर देवी को गुड़ चढ़ाया जाता है।

दो बरस में भरने वाले इस मेले में लगभग दो से तीन करोड़ श्रद्धालु आते हैं तथा देवी दर्शन कर मन्नत के तौर पर लगभग हजार ट्रक गुड़ देवी को चढ़ावा भेंट कर दिया जाता है। यहाँ मेला दो बरस में एक बार लगता है।

इस मेले हेतु सरकार द्वारा श्रद्दालुओं के लिए सुविधाएं जुटाई जाती हैं। 31 जनवरी से 3 फ़रवरी 2018 के आयोजन हेतु तेलंगाना सरकार ने 80 करोड़ के बजट का आबंटन किया था।

नक्सली प्रभावित क्षेत्र होने के कारण सुरक्षा की भी चाक चौबंद व्यवस्था की जाती है। पिछले मेले में दस हजार सुरक्षा बल तैनात किया गया था। इस मेले को समक्का सारक्का जातरा कहा जाता है।