किसानों के हर सुख-दुख में सरकार उनके साथ: डॉ. रमन सिंह

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने किसानों को विश्वास दिलाया है कि उनकी सरकार हर सुख-दुख में उनके साथ खड़ी है। हाल में हुई बेमौसम की बारिश और ओलावृष्टि से उनकी फसलों को हुए नुकसान का आंकलन एक सप्ताह के भीतर करने के निर्देश अधिकारियों को दिए गए हैं। प्रभावित किसानों को फसल क्षति के आंकलन के बाद राजस्व पुस्तक परिपत्र (आरबीसी) 6-4 के तहत मुआवजा दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने आज शाम यहां विधानसभा में राज्य सरकार के आगामी वित्तीय वर्ष 2018-19 के बजट पर सदन में हुई सामान्य चर्चा का जवाब देते हुए यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष 2017 में जब राज्य में सूखा पड़ा, तब प्रदेश सरकार ने आरबीसी 6-4 के तहत किसानों को मुआवजा देने के लिए 546 करोड़ रूपए का आवंटन जारी किया। इसमें से अब तक 330 करोड़ रूपए का वितरण हो चुका है। डॉ. सिंह ने कहा कि इसके पहले जब वर्ष 2015 में सूखा पड़ा था, उस समय भी प्रदेश सरकार किसानों के साथ खड़ी थी और प्रभावित किसानों को विभिन्न मदों की राशि मिलाकर लगभग दो हजार करोड़ रूपए की सहायता दी गई थी। डॉ. सिंह ने कहा – अभी कुछ दिनों पहले मौसम बदलने से अचानक हुई बारिश और ओलावृष्टि के कारण किसानों को जो नुकसान हुआ है, उसकी क्षतिपूर्ति के निर्देश भी मैंने राजस्व विभाग को दिए हैं। अभी सर्वेक्षण कराया जा रहा है और लगभग 26 हजार हेक्टेयर में फसल प्रभावित होने की जानकारी मिली है।
डॉ. सिंह ने कहा – आज केबिनेट की बैठक में भी किसानों की इस समस्या पर चर्चा की गई और आरबीसी 6-4 के तहत उन्हें सहायता राशि जल्द से जल्द वितरित करने का निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा – राज्य सरकार ने किसानों पर खेती की लागत का बोझ कम करने के लिए कई उपाए किए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा – हमने किसानों को साधन और सुविधाएं दी हैं। विगत 14 वर्ष में राज्य में सिंचित रकबा 22 प्रतिशत से बढ़कर 36 प्रतिशत हो गया। प्रदेश सरकार को अभियान लक्ष्य भागीरथी के तहत एक वर्ष में एक लाख हेक्टेयर से अधिक रकबे में सिंचाई क्षमता बढ़ाने में सफलता मिली है, जो अपने आप में एक नया कीर्तिमान है। उन्होंने कहा – विगत 14 साल में राज्य में बिजली कनेक्शन वाले सिंचाई पम्पों की संख्या 75 हजार से बढ़कर चार लाख 50 हजार तक पहुंच गई। सौर सुजला योजना राज्य सरकार की अपनी योजना हैं, इस योजना के तहत चार-पांच लाख रूपए कीमत के सोलर ऊर्जा वाले सिंचाई पम्प हम अपने किसानों को नाममात्र की कीमत पर दे रहे हैं। सौर सुजला योजना में 51 हजार किसानों को सोलर प्रणाली से चलने वाले पम्प दिए जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा – वर्ष 2003 में छत्तीसगढ़ सरकार का कृषि बजट सिर्फ 834 करोड़ रूपए का था, जो अब बढ़कर 13 हजार 480 करोड़ रूपए तक पहुंच गया है। यानी कि किसानों के लिए हमारे कृषि बजट में 17 गुना वृद्धि हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश सरकार ने खरीफ वर्ष 2017-18 में खरीफ के दौरान बारह लाख से ज्यादा किसानों से आठ हजार 990 करोड़ रूपए का धान समर्थन मूल्य पर खरीदा। औसतन प्रत्येक किसान को 73 हजार 700 रूपए की धन राशि मिली। इसी तरह प्रत्येक किसानों को औसतन 14 हजार 148 रूपए का बोनस मिला। धान के लिए 2107 करोड़ का बोनस प्रावधान किया गया। कृषक जीवन-ज्योति योजना के तहत  सिंचाई पम्पों के लिए हमने प्रति पम्प हर साल 7500 यूनिट बिजली निःशुल्क देने की व्यवस्था की है। इससे प्रत्येक किसान को वार्षिक 35 हजार रूपए का फायदा हो रहा है। इतना ही नहीं बल्कि अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के किसानों को सरकार सिंचाई के लिए पूरी बिजली निःशुल्क दे रही है। इससे उन्हें प्रति किसान 50 हजार रूपए का फायदा हो रहा है। राज्य के 12 हजार से ज्यादा गन्ना किसानों को औसतन 33 हजार रूपए का बोनस दिया गया है।
डॉ. रमन सिंह ने कहा – राज्य सरकार ने खेती-किसानी की शिक्षा को भी प्राथमिकता दी है। वर्ष 2003 में छत्तीसगढ़ में सिर्फ चार सरकारी कृषि कॉलेज थे, जिनकी संख्या इस वर्ष 2018 तक बढ़कर 16 हो गई। नए बजट में छह नये कृषि कॉलेज जशपुर, छुईखदान, कोरबा, कुरूद, गरियाबंद, और महासमुंद में खोलने का प्रस्ताव है। इन्हें मिलाकर राज्य में शासकीय कृषि महाविद्यालयों की संख्या बढ़कर 22 हो जाएगी।