राज्य उपभोक्ता आयोग रायपुर में सरकारी धन के गबन का मामला उजागर, तत्कालीन लेखा प्रभारी पर FIR दर्ज
छत्तीसगढ़ राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, रायपुर में पदस्थ रहे तत्कालीन लेखा प्रभारी विनोद साहू पर सरकारी धन के गबन और धोखाधड़ी का आरोप साबित होने के बाद देवेन्द्रनगर थाना रायपुर में आपराधिक मामला दर्ज किया गया है।
शिकायत रजिस्ट्रार (उच्च न्यायिक सेवा) एवं जिला न्यायाधीश श्रीनिवास तिवारी द्वारा दर्ज कराई गई। शिकायत में कहा गया कि आरोपी विनोद साहू ने वर्ष 2017 से 2018 के बीच आयोग के कार्यालयीन खातों से सरकारी राशि निकालकर अपने निजी बैंक खाते में स्थानांतरित की, जिससे आयोग को लगभग ₹3,98,553 का आर्थिक नुकसान हुआ।
इस तरह किया गया गबन
रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2017 में राजनांदगांव जिला उपभोक्ता आयोग की बाउंड्रीवॉल निर्माण और अंबिकापुर सरगुजा बोरवेल कार्य से बची राशि ₹2,15,110 को सरकारी खाते में जमा किया जाना था, लेकिन आरोपी ने इसे अपने व्यक्तिगत खाते में ट्रांसफर कर लिया।
इसी तरह, 5 जनवरी 2018 को कोर्ट फीस की ₹80,000 की राशि भी सरकारी खाते में जमा न कर अपने खाते में डाल ली गई।
इसके अलावा, कार्यालयीन खर्च से संबंधित कई छोटी रकम — ₹34,387, ₹17,700, ₹3,500, और ₹6,000 — भी सरकारी खाते में जमा नहीं की गईं।
जांच समिति की रिपोर्ट में खुलासा
राज्य उपभोक्ता आयोग ने इस मामले की प्राथमिक जांच के लिए एक आंतरिक जांच समिति गठित की थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट में पाया कि आरोपी के कार्यकाल के दौरान कई संदिग्ध वित्तीय लेनदेन किए गए और सरकारी खाते से धनराशि को आरोपी के व्यक्तिगत खाते में ट्रांसफर किया गया।
जांच में यह भी सामने आया कि आयोग के भारतीय स्टेट बैंक, पंडरी शाखा में रखे गए “अवार्ड राशि खाते” में लगभग ₹41,856 की कमी पाई गई, जो उसी अवधि की थी जब विनोद साहू लेखा प्रभारी के रूप में कार्यरत थे।
शासन और पुलिस को भेजी गई सूचना
राज्य आयोग ने इस पूरे मामले की प्रतिलिपि खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग, नवा रायपुर और पुलिस अधीक्षक रायपुर को भेज दी है, ताकि आगे की कानूनी कार्रवाई में तेजी लाई जा सके।
रजिस्ट्रार श्रीनिवास तिवारी ने पत्र में लिखा कि राज्य उपभोक्ता आयोग एक उच्च न्यायिक संस्था है, जहाँ अध्यक्ष के रूप में उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति पदस्थ रहते हैं। इसलिए, संस्थान की साख और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए आरोपी के विरुद्ध कठोर कार्रवाई आवश्यक है।

