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रायपुर: अग्रवाल समाज की मांग – “दानवीर दाऊ कल्याण सिंह अग्रवाल राज्य अलंकरण” से सर्वोच्च सम्मान

छत्तीसगढ़ी अग्रवाल समाज ने राज्य अलंकरण पाने वाले विभूतियों को बधाई दी है और राज्य सरकार से ऐतिहासिक अपील की है कि अगले वर्ष से राज्य का सर्वोच्च अलंकरण “दानवीर दाऊ कल्याण सिंह अग्रवाल राज्य अलंकरण” के नाम से शुरू किया जाए।

समाज के केंद्रीय अध्यक्ष दाऊ अनुराग अग्रवाल ने वीडियो संदेश में कहा कि दाऊ कल्याण सिंह अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ के विकास में योगदान देते हुए अपनी निजी संपत्ति से एक हजार करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की जमीनें दान कीं। उनके दान से अस्पताल, विद्यालय, औद्योगिक क्षेत्र और सार्वजनिक उपयोग की सैकड़ों एकड़ भूमि आज भी उपयोग में हैं। अनुराग अग्रवाल ने अपील की कि दाऊ कल्याण सिंह का नाम राज्य के सर्वोच्च सम्मान से जुड़ना चाहिए, ताकि उनकी दान-संस्कृति आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बन सके।

दाऊ कल्याण सिंह की जीवन यात्रा

दाऊ कल्याण सिंह की शिक्षा बिलासपुर के तरेंगा ग्राम में हुई। ग्रामीण परिवेश में रहने के बावजूद उनका प्रबंध कौशल शहर के किसी भी व्यवसायी से कम नहीं था। पिता के कारोबार को संभालते ही उन्होंने परिवार का सारा कर्ज चुकाया और क्षेत्र में विकास की नई मिसाल कायम की। 1937 में उन्होंने 70 हज़ार रुपये से अधिक का राजस्व पटाया।

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दाऊ केवल कमाने के लिए नहीं बल्कि अपनी संपत्ति को लोगों में बांटने के लिए भी प्रसिद्ध थे। उनका योगदान छत्तीसगढ़ के इतिहास में अमूल्य माना जाता है। रायपुर के डीके अस्पताल (दाऊ कल्याण सिंह) के लिए उन्होंने 1944 में 1 लाख 25 हजार रुपये का दान दिया। उस समय यह क्षेत्र का एकमात्र आधुनिक चिकित्सा केंद्र था, जहां दूर-दराज के गांवों से लोग निःशुल्क इलाज के लिए आते थे।

दानवीरता के अद्भुत उदाहरण

  • रायपुर के लाभांडी में कृषि प्रायोगिक फार्म के लिए 1729 एकड़ भूमि और 1 लाख 12 हजार रुपये दान।

  • रायपुर में 323 एकड़ भूमि टीबी रोगियों के आयोग्यधाम के लिए दान।

  • रायपुर प्रसूति अस्पताल में कई कमरे का निर्माण।

  • रायपुर की पुरानी बस्ती टुरीहटरी में जगन्नाथ मंदिर को पूरा गांव खैरा दान में देना।

  • सन 1921 के अकाल में भाटापारा में पीड़ितों के लिए जलाशय निर्माण, जिसे कल्याण सागर कहा जाता है।

अग्रवाल समाज का कहना है कि दाऊ कल्याण सिंह की दानवीरता ने न केवल रायपुर बल्कि पूरे प्रदेश और देश में उनकी महानता की छाप छोड़ी। समाज का मानना है कि उनके नाम का राज्य अलंकरण दान-संस्कृति और निःस्वार्थ सेवा का प्रतीक बनेगा।

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