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शेष कथा: महाभारत के पात्रों के मनोविज्ञान और दर्शन का गहन विश्लेषण

मप्र के वाणिज्यिक कर विभाग में कार्यरत श्रीमती जया गुप्ता एक संवेदनशील व्यक्तित्व की धनी हैं।उनका वैशिष्ट्य एक सरकारी अधिकारी भर होना नही है वे एक उम्दा साहित्यकार भी हैं।उनका साहित्य अनुराग और प्रमाणिकता उनकी रचनाओं में स्पष्ट पढा जा सकता है। हाल ही में प्रकाशित उनका प्रबंध काव्य’ शेष कथा’ उनकी गहरी मनोविश्लेषण पकड़ के साथ भारतीय वाङ्ग्मय को नवोन्मेष दृष्टि से भी देखता है।महाभारत के पात्रों पर केंद्रित यह शेष कथा हर उस शख्स को पढ़नी चाहिए जो महाभारत को तात्विक रूप से समझने की लालसा रखते हैं।

वस्तुतः जया गुप्ता का रचना संसार आरम्भ से से ही परिपक्व लेखन की वानगी है। आमतौर पर यह माना जाता है कि महाभारत के बाद समाज में नैराश्य की स्थिति थी।विजेता और पराजित दोनो पक्ष एक विकट अपराधबोध से ग्रस्त थे।कवियत्री जया गुप्ता यहां एक उच्च कोटि की दर्शनिक दृष्टि के साथ महाभारत के प्रमुख पात्रों को देखती हैं।उनकी कविताओं में चिंतन की गहराई के समानांतर एक दार्शनिक प्रतिध्वनि भी सुनी जा सकती है।काव्य के मानकों पर उनकी कविताओं को सांगोपांग दोष मुक्त कहा जा सकता है यह आजकल के प्रचलित काव्य संसार में उन्हें एक गंभीर अध्येयता भी साबित करता है। महाभारत के महत्वपूर्ण पात्रों पर जया गुप्ता कविताएं असल में एक प्रबंध काव्य जैसी ही हैं ।

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शेष कथा का शीर्षक सही मायनों में इस रचना के साथ साथ महाभारत के विमर्श से गायब पश्चावर्ती परिदृश्य को भी अभिव्यक्ति देता है। जया गुप्ता ने धर्मराज युधिष्ठिर, पितामह भीष्म द्रौपदी तीनों के अंतर्द्वद्व को जिस अधिकार और प्रमाणिकता से उकेरा है वह इन तीनों पात्रों के सन्दर्भ में नवीन दृष्टि से विचारण के लिए आमंत्रित करता है।संभव है कोई अन्य साहित्यकार भविष्य में इस रेख को पकड़कर इन तीनों पात्रों को इस धरातल पर उतारकर जया गुप्ता के भावों को आगे बढ़ाए। शेष कथा का नवनीत द्वंद और अन्तर्द्वं से संयुक्त मानवीय चेतना की प्रमाणिक अभिव्यक्ति भी है।यह कौशल समकालीन रचनाकारों में आसानी से देखने को नही मिलता है।लेखिका ने मानव जीवन के अंतहीन अन्तर्द्वं को जिस व्यवहारिकता के साथ महाभारत के पात्रों के साथ उकेरा वह पाठकों को इस महाकाव्य के पात्रों के साथ नई दृष्टि से जोड़ने में सफल साबित हुआ है।

जया गुप्ता की यह रचना दर्शन और मनोविज्ञान के पैमाने पर भी एक उत्कृष्ट कृति है।खासबात यह है कि सरकारी सेवा में रहकर भी उनके मन मस्तिष्क में संवेदनशीलता के साथ मानवीय चेतना के विविध स्तरों को समझने और अभिव्यक्ति की क्षमता असंदिग्ध बनी हुई है।जया गुप्ता की कलम यूँ ही प्रभावोत्पादकता के साथ चलती रहे ऐसी शुभकामनाएं।

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-पुस्तक:शेषकथा -काव्य कुमुद पब्लिकेशन मीडिया दिल्ली -मूल्य:150 रुपए

 

डॉ अजय खेमरिया

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Jaya Gupta