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भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनों के दबाव में प्रधानमंत्री ओली का इस्तीफा

नेपाल में राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने 9 सितंबर को भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनों के दबाव में इस्तीफा दे दिया। यह कदम राजनीतिक समाधान की दिशा में उठाया गया माना जा रहा है, लेकिन इससे देश में अस्थिरता और बढ़ गई है।

8 सितंबर को शुरू हुए प्रदर्शनों में पुलिस की गोलीबारी से कम से कम 19 लोगों की मौत और सैकड़ों घायल हुए। प्रदर्शनकारियों ने संसद परिसर और मंत्रियों के घरों में आगजनी व तोड़फोड़ की। सोशल मीडिया पर लगाया गया प्रतिबंध (जो अब हट चुका है) युवाओं के गुस्से का बड़ा कारण बना।

ओली ने इस्तीफा देते हुए कहा कि यह “राजनीतिक समाधान” की दिशा में है, लेकिन विपक्षी दलों और मानवाधिकार संगठनों ने मौतों और भ्रष्टाचार की जांच की मांग की है। राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल ने इस्तीफा स्वीकार कर लिया है।

काठमांडू में कर्फ्यू लागू है, हवाईअड्डा बंद है और सेना को तैनात किया गया है। नेपाली कांग्रेस के शेर बहादुर देउबा जैसे नेता संभावित नए प्रधानमंत्री हो सकते हैं, लेकिन गठबंधन सरकार टूटने से स्थिति और जटिल हो सकती है।

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विशेषज्ञों का मानना है कि यदि युवाओं की मांगें पूरी नहीं हुईं तो आंदोलन लंबे समय तक जारी रह सकते हैं, जिससे नेपाल की अर्थव्यवस्था और राजनीतिक स्थिरता पर गंभीर असर पड़ेगा। भारत-नेपाल संबंधों पर भी इसका प्रभाव पड़ना तय है, क्योंकि सीमा व्यापार और उड़ानें पहले ही प्रभावित हो चुकी हैं।