देश के प्रमुख मंदिरों में प्रसाद के रूप में रामदाना, बताशा और ड्राई फ्रूट का होगा उपयोग
तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डू प्रसादम में मिलावट को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। इस विवाद के बीच, देशभर के प्रमुख मंदिरों में प्रसाद की नई व्यवस्था लागू करने की तैयारी तेज हो गई है। काशी विद्वत परिषद और अखिल भारतीय संत समिति सहित कई धार्मिक संगठनों ने यह निर्णय लिया है कि अब प्रसाद के रूप में रामदाना, बताशा और ड्राई फ्रूट का इस्तेमाल किया जाएगा ताकि मिलावट की संभावना को कम किया जा सके। जल्द ही इसे लागू करने की कवायद शुरू हो जाएगी।
काशी विद्वत परिषद ने इसके लिए पहल करते हुए एक मसौदा तैयार किया है, जिसके तहत अब देश के सभी बड़े मंदिरों में पंचमेवा, बताशा और रामदाना से बने प्रसाद का उपयोग किया जाएगा। इसका उद्देश्य यह है कि प्रसाद में मिलावट न हो और उसकी शुद्धता व पवित्रता बनी रहे। इसके अलावा, बड़े मंदिरों में गौशाला निर्माण कर गौमाता की सेवा करने और उनके दूध से बने उत्पादों से प्रसाद तैयार करने का भी प्रस्ताव है। इससे गौसंरक्षण के साथ-साथ सनातन धर्म का उत्थान भी हो सकेगा।
प्रसाद व्यवस्था में इस बड़े बदलाव का उद्देश्य है कि भक्तों को सात्विक और शुद्ध प्रसाद मिले, जो धार्मिक ग्रंथों और सनातनी परंपराओं के अनुसार हो। काशी विद्वत परिषद ने सनातनी पुराणों के आधार पर भगवान को अर्पित किए जाने वाले भोग का खाका तैयार किया है, ताकि देशभर के सभी देवालयों में सात्विक प्रसाद चढ़ाया जा सके। काशी के कुछ मंदिरों में पहले से ही प्रसाद के रूप में रामदाना का उपयोग होते हुए देखा जा रहा है।
अब मंदिरों में पंचमेवा, फल, बताशा और रामदाना के प्रसाद की नई व्यवस्था लागू होगी, जिससे भक्तों को शुद्ध प्रसाद प्राप्त होगा और मिलावट की सभी संभावनाओं पर रोक लग सकेगी।