लालू परिवार की सियासी पटकथा: तेज प्रताप की ‘लव स्टोरी’ से उठा बवाल
पटना। बिहार की राजनीति एक बार फिर चर्चा के केंद्र में है, और इस बार कारण हैं तेज प्रताप यादव। कभी कृष्ण-कन्हैया तो कभी भोलेनाथ का भेष धरने वाले लालू प्रसाद यादव के बड़े पुत्र तेज प्रताप एक बार फिर सुर्खियों में हैं – लेकिन इस बार मामला केवल प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि गंभीर कानूनी और पारिवारिक विवाद से जुड़ा हुआ है।
हाल ही में तेज प्रताप यादव ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा की, जिसमें उन्होंने एक युवती अनुष्का यादव के साथ अपने 12 साल पुराने प्रेम संबंध की सार्वजनिक घोषणा की। उन्होंने यह भी दावा किया कि वे दोनों शादीशुदा हैं। इसके साथ एक फोटो भी शेयर की गई, जिसने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया।
हालांकि, कुछ ही देर बाद यह पोस्ट डिलीट कर दी गई और तेज प्रताप ने सफाई दी कि उनका अकाउंट हैक हो गया था। लेकिन इस दावे पर सवाल उठे क्योंकि न तो कोई साइबर क्राइम की शिकायत की गई और न ही कोई आधिकारिक पुष्टि मिली। तकनीकी जानकारों और सामान्य जनता ने इस कथित हैकिंग को नकार दिया और इसे राजनीतिक दबाव में लिया गया यू-टर्न बताया।
ऐश्वर्या राय से शादी और उसका पतन
तेज प्रताप यादव की पूर्व पत्नी ऐश्वर्या राय कोई साधारण परिवार से नहीं थीं। वे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री दरोगा प्रसाद राय की पोती और वरिष्ठ नेता चंद्रिका राय की बेटी हैं। साल 2018 में हुई इस शादी को राजनीतिक गठजोड़ का हिस्सा माना गया था। लेकिन विवाह के कुछ ही समय बाद रिश्तों में दरार आ गई। ऐश्वर्या ने तेज प्रताप पर अवैध संबंधों के आरोप लगाए, जिससे विवाद ने तूल पकड़ा।
ऐश्वर्या का दावा था कि उन्हें राबड़ी देवी ने शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया और सबूतों से भरे उनके मोबाइल को भी जब्त कर लिया गया। यह मामला न केवल एक घरेलू कलह बना बल्कि लालू परिवार की छवि और नैतिकता पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा कर गया।
राजनीतिक प्रभाव और जातिगत समीकरण
बिहार की राजनीति में जातिगत संतुलन और समाजवादी छवि बेहद अहम होती है। तेजस्वी यादव ने भी ईसाई युवती से विवाह किया, जिसका नाम बाद में बदला गया ताकि जातिगत समीकरण प्रभावित न हो। इन दोनों मामलों ने लालू परिवार की छवि को उनके ही समर्थक वर्ग में कमजोर कर दिया है।
तेज प्रताप की प्रेमकथा और तेजस्वी की अंतरजातीय शादी दोनों ही उन सामाजिक मूल्यों की अनदेखी करते प्रतीत होते हैं जिनके दम पर लालू यादव ने राजनीति की बुलंदियों को छुआ। यही कारण है कि कई विश्लेषक मान रहे हैं कि यह घटनाक्रम लालू परिवार की राजनीतिक विरासत में दरार डाल सकता है।
क्या यह परिवार के अंत की शुरुआत है?
सोशल मीडिया पर चल रही चर्चाओं में यह सवाल प्रमुखता से उठ रहा है कि क्या तेज प्रताप द्वारा सार्वजनिक किए गए प्रेम संबंध और फिर उसका खंडन, लालू यादव के परिवार के राजनीतिक और सामाजिक पतन की शुरुआत है? क्या यह पूरा घटनाक्रम सिर्फ एक व्यक्तिगत निर्णय है या इसके पीछे कोई सोची-समझी रणनीति?
चुनाव और विपक्ष की तैयारी
बिहार में आगामी चुनावों को लेकर माहौल पहले से ही गर्म है। प्रशांत किशोर, चिराग पासवान, और भाजपा जैसे विरोधी इस मुद्दे को राजनीतिक हथियार के रूप में भुना सकते हैं। ऐसे में यह विवाद तेजस्वी यादव के नेतृत्व में चुनाव लड़ रही राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के लिए गले की हड्डी बन सकता है।
तेज प्रताप यादव की यह कथित प्रेम कहानी, उसकी सार्वजनिक घोषणा और फिर उससे मुकर जाना – यह सब एक राजनीतिक तमाशे की तरह जनता के सामने आया है। लेकिन इसके पीछे छिपी पारिवारिक सच्चाइयाँ, राजनीतिक समीकरण और सामाजिक प्रतीक कहीं अधिक गहरी हैं। अब यह देखना बाकी है कि लालू परिवार इस संकट से कैसे उबरता है या यह सचमुच उनके वर्चस्व के अंत की शुरुआत साबित होता है।