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छत्तीसगढ़ के वनांचल ग्रामों में कोदो की खेती बनी लाभकारी विकल्प, किसानों का रुझान बढ़ा

रायपुर, 14 जुलाई 2025/ धान की परंपरागत खेती के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के कृषकों का रुझान अब पोषणयुक्त एवं लाभकारी फसलों की ओर तेजी से बढ़ रहा है। विशेष रूप से वनांचल क्षेत्र के ग्रामों में कोदो की खेती को अपनाने वाले किसानों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की जा रही है। कम लागत, कम श्रम, उच्च लाभ और स्वास्थ्यवर्धक गुणों से भरपूर कोदो की मांग ने इसे वैकल्पिक फसल के रूप में लोकप्रिय बना दिया है।

गुरूर विकासखंड में कोदो की खेती का विस्तार
बालोद जिले के गुरूर विकासखंड के ग्राम बड़भूम, पेटेचुवा, दुग्गा बाहरा, कर्रेझर सहित अनेक गांवों के कृषक इस वर्ष बड़े पैमाने पर कोदो की खेती कर रहे हैं। ग्राम दुग्गा बाहरा के कृषक धनीराम ने खरीफ वर्ष 2025-26 में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (रफ्तार) के अंतर्गत प्राप्त सहयोग से तीन एकड़ भूमि में कोदो की बुआई की है। पहले वे केवल धान की खेती करते थे, लेकिन कृषि विभाग द्वारा वैकल्पिक फसलों के प्रति जागरूकता कार्यक्रमों से प्रेरित होकर उन्होंने कोदो को अपनाया।

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प्रोत्साहन के लिए अनुदान और तकनीकी मार्गदर्शन
धान के स्थान पर कोदो जैसी वैकल्पिक फसल अपनाने पर राज्य सरकार राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत प्रति एकड़ ₹11,000 का अनुदान प्रदान कर रही है। इससे कृषकों को आर्थिक संबल प्राप्त हो रहा है, और वे कम लागत में अधिक मुनाफा अर्जित कर पा रहे हैं। कृषि विभाग द्वारा निरंतर तकनीकी मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और फसल उपयोगिता से जुड़ी जानकारी किसानों तक पहुंचाई जा रही है।

कोदो: स्वास्थ्य और पोषण का प्राकृतिक स्रोत
कोदो में भरपूर मात्रा में फाइबर, प्रोटीन, आवश्यक विटामिन व खनिज पाए जाते हैं। यह मधुमेह, मोटापा एवं हृदय रोग जैसी बीमारियों की रोकथाम में भी सहायक सिद्ध हो रहा है। इसकी खेती में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों की आवश्यकता भी बहुत कम होती है, जिससे यह पर्यावरण के अनुकूल भी है। विशेष रूप से उच्चहन भूमि में कोदो से बेहतर उत्पादन संभव है।

प्रशासनिक सहयोग से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संबल
कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा गांव-गांव जाकर किसानों को कोदो की खेती से होने वाले लाभों की जानकारी दी जा रही है। परिणामस्वरूप, वनांचल क्षेत्रों में कोदो की खेती के प्रति किसानों का उत्साह और रुझान तेजी से बढ़ रहा है। यह न केवल किसानों की आय बढ़ाने में सहायक है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नया संबल प्रदान कर रहा है।

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