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कांकेर में वन्य जीवों की घुसपैठ से दहशत, स्थानीय लोग चिंतित

कांकेर: कांकेर जिले के विभिन्न रिहायशी इलाकों में वन्य जीवों की घुसपैठ ने स्थानीय निवासियों के बीच खौफ का माहौल पैदा कर दिया है। हाल ही में दुधावा क्षेत्र के साईंमुंडा गांव में 35 हाथियों का झुंड आ गया, जिससे लोग भयभीत हैं। बीती रात अमोड़ा गांव में 5 भालू राशन दुकान में घुस गए थे, जबकि इससे पहले तीन दिन पहले भी यहां दो भालू देखे गए थे। वन्य जीवों की बढ़ती गतिविधियों के कारण स्थानीय लोग रोजाना दहशत का सामना कर रहे हैं। कांकेर जिले में वन्य प्राणियों की यह बढ़ती गतिविधि न सिर्फ सुरक्षा के लिहाज से चिंता का कारण बन रही है, बल्कि यह इलाके के प्राकृतिक संतुलन को भी प्रभावित कर रही है।

कांकेर शहर और उसके आसपास के इलाके पहाड़ियों से घिरे हुए हैं, जहां भालू और तेंदुए जैसे वन्य प्राणी बड़ी संख्या में पाए जाते हैं। हाल ही में एक गांव में तेंदुए ने तीन बच्चों पर हमला कर दिया, जिसमें एक बच्चे की मौत हो गई और दो अन्य घायल हो गए। इसके अलावा, पिछले महीने जिला मुख्यालय के पास 5 तेंदुओं का झुंड देखा गया था, जो अब भी इलाके में मौजूद है। वन विभाग का दावा है कि इस क्षेत्र में 8 तेंदुए हैं, लेकिन वन्य प्राणियों के इन हमलों और घुसपैठ के चलते स्थानीय लोगों में असुरक्षा की भावना बढ़ गई है।

इससे पहले, भालू ने उदय नगर और राम नगर जैसे क्षेत्रों में भी दो लोगों पर हमला किया था। इन घटनाओं से यह स्पष्ट हो गया है कि वन्य प्राणियों का रिहायशी इलाकों की ओर बढ़ना एक गंभीर समस्या बन गई है। हाल ही में कांकेर जिले के विभिन्न इलाकों से 5 अजगर भी पकड़े गए हैं, जो वन्य जीवों के बढ़ते खतरे को और बढ़ा रहे हैं।

हालांकि, वन विभाग ने इन वन्य प्राणियों को पकड़ने के लिए कार्रवाई का दावा किया है, लेकिन अब तक मैदान में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। वन्य जीवों की बढ़ती गतिविधियों को लेकर लोगों में असंतोष और डर का माहौल बना हुआ है, और स्थानीय प्रशासन से जल्द प्रभावी कदम उठाने की मांग की जा रही है।

इस बढ़ते खतरे को देखते हुए विशेषज्ञों का कहना है कि वन्य प्राणियों का मानव बस्तियों में आना उनके प्राकृतिक आवासों के क्षरण के कारण हो रहा है, और इस समस्या का समाधान केवल जंगलों की बेहतर सुरक्षा और वन्य जीवन के लिए सुरक्षित वातावरण प्रदान करने में है।

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