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कंबोडिया और थाईलैंड के बीच सीमा पर गोलीबारी: मंदिर क्षेत्र बना तनाव का केंद्र

दिल्ली 24 जुलाई 2025 —एशिया महाद्वीप पिछले कई वर्षों से अशांत हो रहा है, अब दक्षिण-पूर्व एशिया के दो पड़ोसी देश कंबोडिया और थाईलैंड के बीच एक बार फिर सीमा विवाद गहरा गया है। पिछले कुछ दिनों से दोनों देशों की सेनाओं के बीच गोलाबारी की घटनाएँ सामने आई हैं, जो अब रॉकेट हमलों में बदल चुकी हैं। यह संघर्ष मुख्यतः प्रेह विहेयर मंदिर (Preah Vihear Temple) क्षेत्र के आसपास देखा जा रहा है, जो कि दोनों देशों के बीच लंबे समय से विवाद का केंद्र रहा है।

संघर्ष का मूल कारण

यह पुराना मंदिर, जो यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल है, भौगोलिक रूप से कंबोडिया की सीमा में स्थित है, लेकिन थाईलैंड इसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दावा करता रहा है। वर्ष 1962 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने इस क्षेत्र को कंबोडिया का भाग माना, परंतु थाईलैंड ने उसके आसपास की भूमि पर अब तक अपना नियंत्रण बनाए रखा है।

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2025 में कंबोडिया द्वारा मंदिर के निकट सुरक्षा चौकियों को मज़बूत करने और एक नया पर्यटक मार्ग खोलने की घोषणा के बाद थाईलैंड ने इसे उकसाने वाली कार्रवाई बताया। इसके प्रत्युत्तर में थाई सैनिकों ने सीमा पर निगरानी बढ़ाई, और बीते सप्ताह दोनों ओर से तनाव बढ़ने के बाद स्थिति हिंसक हो गई।

वर्तमान स्थिति

23 जुलाई की रात को दोनों देशों की सेना ने एक-दूसरे पर भारी गोलीबारी और रॉकेट दागने के आरोप लगाए। गोलीबारी प्रेह विहेयर मंदिर क्षेत्र के अलावा चोम खसान और सूरिन सीमाओं पर भी हुई है। कुछ सीमावर्ती गांवों को खाली करवाया गया है और आम नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया जा रहा है।

अब तक दर्जनों सैनिकों के घायल होने की खबर है, वहीं अनौपचारिक सूत्रों के अनुसार कुछ जानमाल की हानि भी हुई है, जिसे आधिकारिक पुष्टि नहीं मिली है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

यूनेस्को और संयुक्त राष्ट्र दोनों ने इस संघर्ष पर चिंता व्यक्त की है और दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है। आसियान (ASEAN) देशों की एक आपात बैठक बुलाने की संभावनाएँ भी जताई जा रही हैं।

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कंबोडिया और थाईलैंड के बीच यह संघर्ष न केवल क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा है, बल्कि विश्व धरोहर स्थलों की सुरक्षा को लेकर भी गंभीर चिंता उत्पन्न करता है। ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक जटिलताओं से जुड़े इस विवाद को अब दोनों देशों को कूटनीतिक रूप से सुलझाने की आवश्यकता है, ताकि इस प्राचीन मंदिर के प्रांगण में फिर से शांति लौट सके।