माननीय न्यायमूर्ति पी. सैम कोशी का भारतीय संविधान के तहत समावेशिता पर ज़ोर
रायपुर में ‘संविधान @ 75: एचएनएलयू शृंखला’ के एक हिस्से के रूप में “सुशासन की दिशा: संविधान, नीति, और समावेशिता” पर सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए, माननीय श्री न्यायमूर्ति सैम कोशी, न्यायाधीश तेलंगाना उच्च न्यायालय और एचएनएलयू के सामान्य परिषद के सदस्य ने कहा, “शासन के संस्थान में एक मानक और मूल्यांकनात्मक दृष्टिकोण होना चाहिए। विधि का शासन, मानवाधिकारों का पूर्ण सम्मान और समाज के हर वर्ग की प्रभावी भागीदारी की आवश्यकता है। इसलिए, इसे बनाए रखने के लिए पारदर्शिता, जवाबदेही और बहु-एजेंसी भागीदारी की दिशा में प्रयास किए जाने चाहिए।” उन्होंने विशेष रूप से संघर्ष और अशांति प्रवण क्षेत्रों में पुलिस अधिकारियों की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी पर बल दिया और कानून प्रवर्तन और समावेशिता के बीच आपसी संबंध पर प्रकाश डालते हुए एक ऐसा दृष्टिकोण अपनाने का समर्थन किया जो सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के साथ व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा भी करता हो।
सम्मेलन के उद्घाटन उद्बोधन में एचएनएलयू के कुलपति प्रो. विवेकानंदन ने संविधान के कार्यान्वयन में समावेशिता की पांच प्रमुख चुनौतियों – जातीय भेदभाव, लैंगिक भेदभाव, धार्मिक समानता, आर्थिक विषमता और सार्वभौमिक शिक्षा के अधिकार पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान एक दूरदर्शी दस्तावेज है और चुनौती यह है कि इसे उसी भावना में संचालित किया जाए जिसमें प्रवर्तन अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
उद्घाटन समारोह में सम्माननीय अतिथि श्री अशोक जुनेजा ने विशेष रूप से हाशिये पर पड़े वर्गों, विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों और अन्य कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए पुलिस अधिकारियों की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पुलिस समुदाय का लक्ष्य इस जीवंत दस्तावेज़ (संविधान) के माध्यम से न्याय और कानून के शासन की रक्षा करना है। पुलिस की महत्वपूर्ण भूमिका विशेष रूप से वामपंथी उग्रवाद क्षेत्रों में स्थानीय जनता को लाभ पहुँचाने की है।
इस उद्घाटन सत्र के बाद कार्यक्रम में दो महत्वपूर्ण तकनीकी सत्र आयोजित हुए। पहले सत्र में मद्रास उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता और एचएनएलयू के विशिष्ट न्यायविद प्रोफेसर श्री पी. वी. एस. गिरिधर ने संविधान के संचालन में औपचारिक और अनौपचारिक कारकों की भूमिका प्रस्तुत की। उन्होंने संविधान के 75वें वर्ष में इसकी उपलब्धियों और चुनौतियों पर चर्चा की।
दूसरे तकनीकी सत्र में, सर्वोच्च न्यायालय एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड श्री अमित पाई ने भारतीय संविधान के तहत महिलाओं, बच्चों और हाशिये पर पड़े लोगों की विशेष स्थिति पर एक जीवंत बातचीत में श्रोताओं को सम्मिलित किया। उन्होंने बताया कि भारतीय संविधान अन्य लोकतंत्रों की तुलना में अधिक दूरदर्शी था, जिसमें आरंभ से ही सभी के लिए वयस्क मताधिकार था।
यह सम्मेलन, जो इस शृंखला का दूसरा संस्करण है, स्कूल ऑफ़ लॉ एन्ड गवर्नेंस , लॉ एन्ड टेक्नोलॉजी के तहत सेंटर फॉर कोंस्टीटूशनल लॉ और फेडरलिस्म तथा इनोवेशन और सेंटर फॉर आईपी पालिसी तत्वावधान में आयोजित किया गया। इस शृंखला के माध्यम से शैक्षिक टूलकिट, ई-डॉकेट्स और अन्य शोध मोनोग्राफ तैयार किए जाएंगे। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ पुलिस के 150 अधिकारियों ने भाग लिया, जिनमें एडीजी, आईजी, और डीआईजी रैंक के अधिकारी शामिल थे, और इसमें एडीजी (प्रशिक्षण) श्री एस. आर. पी. कल्लूरी की भी गरिमामयी उपस्थिति थी। इस कार्यक्रम में एचएनएलयू के प्राध्यापक गण और पीजी व यूजी छात्र भी उपस्थित थे, जिससे यह सत्र अत्यंत सहभागिता और जानकारीपूर्ण बन गया।
संविधान 75 शृंखला का आयोजन एचएनएलयू के संकाय सदस्य सुश्री गरिमा पंवार और श्री अभिनव के. शुक्ला द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम को एचएनएलयू के यूट्यूब चैनल पर देखा जा सकता है।