मुख्यमंत्री विष्णूदेव साय, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, मंत्रीगण और जनप्रतिनिधियों ने की पूजा-अर्चना
रायपुर, 24 जुलाई 2025// प्रदेश की लोकसंस्कृति और कृषि परंपरा से जुड़े हरेली पर्व पर राजधानी रायपुर स्थित राजस्व मंत्री निवास कार्यालय में पारंपरिक गरिमा और उत्सवपूर्ण वातावरण के साथ कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय सहित विधानसभा अध्यक्ष, उपमुख्यमंत्री द्वय, मंत्रीगण एवं जनप्रतिनिधियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम की शुरुआत भगवान शिव के जलाभिषेक, गौरी-गणेश, नवग्रहों तथा कृषि यंत्रों की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना से हुई। मुख्यमंत्री साय ने प्रदेशवासियों के सुख-समृद्धि की कामना करते हुए कहा—
“हरेली पर्व छत्तीसगढ़ की जीवनशैली, मेहनतकश किसानों की आस्था और प्रकृति के प्रति सम्मान का प्रतीक है। हमारी सरकार पारंपरिक मूल्यों की रक्षा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।”
उन्होंने यह भी कहा—
“बच्चों में गेड़ी जैसी पारंपरिक विधाओं के प्रति आकर्षण बनाए रखना हमारी सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखने के लिए आवश्यक है। ऐसे पर्व हमारी नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ते हैं।”
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने इस अवसर पर हरेली पर्व की पौराणिक मान्यताओं का उल्लेख करते हुए कहा—
“यह पर्व खेत-खलिहान और गोधन की पूजा का पर्व है। मान्यता है कि आज के दिन शिव-पार्वती स्वयं भू-लोक में आकर किसानों की खेती-किसानी को देखने आते हैं। हरेली से ही छत्तीसगढ़ में त्योहारों की श्रृंखला की शुरुआत होती है।”
उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने इस पर्व को छत्तीसगढ़ की आत्मा से जोड़ते हुए कहा—
“हरेली हमारी धरती, परिश्रम और परंपरा के प्रति सम्मान का पर्व है। यह किसानों की आस्था और प्रकृति से उनके आत्मिक संबंध का प्रतीक है।”
राजस्व मंत्री टंक राम वर्मा ने कहा—
“राज्य सरकार किसानों के हित में लगातार कार्य कर रही है। हरेली जैसे पर्व हमारी जड़ों से जुड़ने और कृषि संस्कृति को जीवंत बनाए रखने की प्रेरणा देते हैं।”
उन्होंने बताया कि कार्यक्रम में गेड़ी चलाने की प्रतियोगिता ने बच्चों को विशेष रूप से आकर्षित किया। ग्रामीणजन ने गोधन को पौष्टिक आहार देकर पशुधन के प्रति आभार प्रकट किया।
कार्यक्रम में पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुनों, छत्तीसगढ़ी लोकगीतों, गेड़ी प्रतियोगिता और लोकनृत्य की शानदार प्रस्तुतियों ने माहौल को संगीतमय और संस्कृति-स्निग्ध बना दिया। पारंपरिक कृषि औजारों की पूजा के माध्यम से प्रकृति और कृषि परंपरा के प्रति श्रद्धा प्रकट की गई और प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को सहेजने का संकल्प लिया गया।