राज्यपाल ने स्मारिका घुमक्कड़ जंक्शन के छत्तीसगढ़ पर्यटन विशेषांक का ऑनलाइन विमोचन किया

स्मारिका के संपादक श्री ललित शर्मा को प्रोत्साहन के रूप में एक लाख रूपए पुरस्कार देने की घोषणा की।

रायपुर। छत्तीसगढ़ पर्यटन की दृष्टि से विविधताओं वाला प्रदेश है। कृषि उत्पादन की दृष्टि से यहां अनेकों विविधताएं हैं, यहां पर धान के अनेकों प्रजातियां संग्रहित हैं। यहां पर कुछ विशेष प्रकार के फसल जैसे चाय, अमरूद, लीची, काजू, आलू, अनानास, नाशपति, सीताफल आदि की खेती भी हो रही है। इस तरह छत्तीसगढ़ को कृषि पर्यटन राज्य के रूप में भी स्थापित किया जा सकता है, इस क्षेत्र में अनेकों संभावनाएं हैं। यह बात राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने कही।

वे आज न्यूज एक्सप्रेस डाट कॉम वेबसाइट की स्मारिका घुमक्कड़ जंक्शन का ऑनलाइन विमोचन कर रही थी। उन्होंने इस स्मारिका के संपादक श्री ललित शर्मा को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी और प्रोत्साहन के रूप में एक लाख रूपए देने की घोषणा की। यह स्मारिका छत्तीसगढ़ पर्यटन पर आधारित है। राज्यपाल ने सभी को विश्व पर्यटन दिवस की बधाई भी दी।

राज्यपाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में पर्यटन को बढ़ावा मिलने से यहां के लोगों को रोजगार मिलेगा, उनकी आय बढ़ेगी और यहां की ज्वलंत समस्या नक्सलवाद पर अंकुश लगाने में भी मदद मिलेगी। मेरी पर्यटन में विशेष रूचि है और जब मुझे अवसर मिलता है तो पर्यटन स्थलों का भ्रमण करती हूं। मैंने अपने जीवन काल में देश-विदेश के अनेक स्थलों का भ्रमण किया है और आनंद लिया है। छत्तीसगढ़ को पर्यटन केन्द्र के रूप में स्थापित करने के लिए आप सुझाव दें, मैं केन्द्र सरकार और राज्य सरकार को मैं पत्र लिखूंगी और हरसंभव मदद करूंगी।

उन्होंने कहा कि यहां पर अथाह प्राकृतिक संपदा है। उत्तर छत्तीसगढ़ की ओर देखें तो सरगुजा अंचल के कोरिया जिले में सीतामढ़ी हरचौका एवं सरगुजा जिले के रामगढ़ में सीता बेंगरा तथा लक्ष्मण बेंगरा गुफा है, जहां पर वनवास काल में राम-सीता आने के चिन्ह मिलते हैं। तो वहीं दक्षिण बस्तर में चित्रकोट सहित अनेकों जलप्रपात हैं, जिन्हें देखते हुए आंखे नहीं थकती, जहां जाते ही मन को शांति मिलती है।

मुख्य वक्ता श्री ललित शर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ में तीनों मौसमों में घुमक्कड़ी हो सकती है, जो अन्य किसी प्रदेश में संभव नहीं है। मानसून में छत्तीसगढ़ की खूबसूरती देखते ही बनती है। यहां की नदियां उफान पर होती है तो झरने भी पूर्ण यौवन पर रहते हैं, जिसके कारण दर्शनीय होते है। चारों ओर फैली हरियाली मनमोह लेती है, इसके साथ ही मैदानी क्षेत्र शीतकालीन पर्यटन के उत्तम है तथा ग्रीष्मकाल में सरगुजा के पाट क्षेत्र तथा बस्तर की घने वन सुकून देते हैं। इस तरह समग्र दृष्टि डालें तो छत्तीसगढ़ में सभी मौसमों में पर्यटन के विभिन्न अनछूए आयाम दिखाई देते हैं। उन्होंने पर्यटन के चार प्रमुख आधार, सुरक्षा, साधन, आवास, आहार का स्लोगन भी दिया।

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इस अवसर पर पर्वतोराही श्रीमती विजया पंत तुली मुंबई और वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार श्री गिरीश पंकज ने भी संबोधन दिया। कार्यक्रम की शुरूआत पंडित अनूप तिवारी द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना एवं मंगलाचरण से हुई। इस अवसर सी.एस.एच.डी. छत्तीसगढ़ के सचिव श्री विवेक सक्सेना सहित अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। आभार प्रदर्शन श्री ज्ञानेन्द्र पाण्डेय तथा कार्यक्रम का संचालन डॉ नीतेश मिश्रा ने किया