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फॉरेस्ट टू फार्मेसी: छत्तीसगढ़ में आधुनिक आयुर्वेदिक प्रसंस्करण इकाई का लोकार्पण 29 जून को

रायपुर, 28 जून 2025/ छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ मर्यादित द्वारा निर्मित अत्याधुनिक आयुर्वेदिक औषधि प्रसंस्करण इकाई का लोकार्पण 29 जून को ग्राम जामगांव (एम), जिला दुर्ग में किया जाएगा। लोकार्पण समारोह के मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय होंगे, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप करेंगे।

इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा, सांसद दुर्ग विजय बघेल, स्थानीय विधायकगण, राज्य वनोषधि बोर्ड के अध्यक्ष विकास मरकाम और वन विकास निगम के अध्यक्ष रामसेवक पैकरा उपस्थित रहेंगे। कार्यक्रम में महा मण्डलेश्वर श्री श्री 1008 डॉ. स्वामी कैलाशनंद गिरी जी महाराज, हरिद्वार (उत्तराखण्ड) विशेष रूप से शामिल होंगे।

यह इकाई छत्तीसगढ़ की समृद्ध वन संपदा को विज्ञान और आधुनिक तकनीक से जोड़ते हुए फॉरेस्ट टू फार्मेसी मॉडल को साकार करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है। 27.87 एकड़ क्षेत्र में रु. 36.47 करोड़ की लागत से निर्मित इस इकाई से प्रतिवर्ष लगभग 50 करोड़ रुपए मूल्य के आयुर्वेदिक उत्पादों के निर्माण का अनुमान है।

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यहां महुआ, साल बीज, कालमेघ, गिलोय, अश्वगंधा जैसी औषधीय एवं लघु वनोपज का संगठित एवं वैज्ञानिक रूप से चूर्ण, सिरप, तेल, टैबलेट, अवलेह आदि में रूपांतरण किया जाएगा। यह इकाई छत्तीसगढ़ हर्बल्स ब्रांड के तहत राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में राज्य के उत्पादों को पहचान दिलाने में मुख्य केंद्र बनेगी।

इस परियोजना से 1000 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार, विशेषकर महिलाओं की प्राथमिक प्रसंस्करण कार्यों में सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित होगी। साथ ही स्थानीय युवाओं को तकनीकी प्रशिक्षण के माध्यम से आजीविका के नए अवसर मिलेंगे।

इस इकाई में 20,000 मीट्रिक टन क्षमता का आधुनिक वेयरहाउस भी स्थापित किया गया है, जिससे सीजनल वनोपजों के दीर्घकालिक संरक्षण और गुणवत्ता नियंत्रण संभव होगा।

यह परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भर भारत के विजन को मूर्तरूप देती है। यह केवल वन उत्पादों के स्थानीय मूल्य संवर्धन का उदाहरण नहीं है, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन, आर्थिक विकास, और सामाजिक समावेशिता को भी सशक्त बनाती है।

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छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ मर्यादित के नेतृत्व में प्रदेश हरित औद्योगिक युग की ओर तेजी से बढ़ रहा है, जिससे वनवासियों और ग्रामीणों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन सुनिश्चित हो रहा है।