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फारूक अब्दुल्ला ने ए.एस. दुलत के दावों को बताया “सस्ती लोकप्रियता की कोशिश”, पूर्व रॉ प्रमुख ने दी सफाई

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला और रॉ के पूर्व प्रमुख ए.एस. दुलत के बीच इस समय एक बयान को लेकर जबरदस्त राजनीतिक गर्मी देखने को मिल रही है। दुलत की आने वाली किताब “द चीफ मिनिस्टर एंड द स्पाई” में यह दावा किया गया है कि अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले को फारूक अब्दुल्ला ने निजी रूप से समर्थन दिया था। अब्दुल्ला ने इस दावे को सिरे से खारिज करते हुए इसे “बिक्री बढ़ाने के लिए किया गया एक सस्ता प्रचार” करार दिया है।

अब्दुल्ला का कड़ा खंडन

87 वर्षीय फारूक अब्दुल्ला ने इन आरोपों को “कल्पना पर आधारित” और “पूरी तरह झूठा” बताया। उन्होंने कहा कि अगस्त 2019 में जब अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया, तब उन्हें और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला को महीनों तक हिरासत में रखा गया था, और यह स्वयं सिद्ध करता है कि वे इस फैसले के घोर विरोधी थे।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि 2018 में जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग हो चुकी थी, इसलिए किसी प्रकार का प्रस्ताव पास करने का सवाल ही नहीं उठता। “दुलत जैसे अनुभवी व्यक्ति को इतनी सामान्य बात याद रखनी चाहिए थी कि उस समय कोई विधानसभा थी ही नहीं,” अब्दुल्ला ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा।

“मैं किसी का कठपुतली नहीं”: फारूक अब्दुल्ला

दुलत ने अपनी किताब में यह भी लिखा है कि फारूक अब्दुल्ला अक्सर उनके सुझावों को मानते थे और उनके प्रभाव में रहते थे। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अब्दुल्ला ने कहा, “मैं अपने फैसले खुद लेता हूं, किसी का आदेश नहीं मानता। मैं किसी का मोहरा नहीं हूं।”

उन्होंने यह भी खारिज किया कि नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) ने कभी बीजेपी से निकटता बढ़ाने की कोशिश की हो। अब्दुल्ला ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि वह उनकी पार्टी और जम्मू-कश्मीर की स्वायत्तता को खत्म करने की मंशा रखती है।

पीएजीडी और स्वायत्तता की लड़ाई

फारूक अब्दुल्ला ने एक बार फिर यह दोहराया कि उन्होंने जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति की बहाली के लिए पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लरेशन (PAGD) का गठन किया, जो क्षेत्र की स्वायत्तता की पुनर्बहाली के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने 1996 में अपने दो-तिहाई बहुमत के दौरान विधानसभा में स्वायत्तता के प्रस्ताव को पारित कराने की अपनी भूमिका को याद दिलाया, जो उनके रुख को पूरी तरह स्पष्ट करता है।

दुलत की सफाई: “गलत उद्धृत किया गया”

विवाद के बीच ए.एस. दुलत ने भी सफाई देते हुए कहा कि उनकी बातों को गलत ढंग से प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने कहा, “मेरी किताब फारूक अब्दुल्ला की प्रशंसा से भरी हुई है। उसमें उनके खिलाफ कुछ भी नहीं है।”

दुलत, जो कि रॉ और इंटेलिजेंस ब्यूरो दोनों में काम कर चुके हैं, ने स्पष्ट किया कि यह किताब आलोचना नहीं, बल्कि अब्दुल्ला के साथ उनके अनुभवों का एक सकारात्मक लेख है।

“दिल पर लगे घाव कभी नहीं भरते”

फारूक अब्दुल्ला ने अपने जवाब में भावुक होकर कहा कि यह किताब उनके विश्वास को ठेस पहुंचाने वाली है। उन्होंने कहा, “शरीर पर घाव भर जाते हैं, लेकिन दिल पर लगे जख्म ज़िंदगी भर रहते हैं।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि दुलत के इस कृत्य ने उनकी मित्रता पर स्थायी असर डाला है।

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