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स्टील उद्योगों की अनुचित मांगें, रिटायर्ड पॉवर इंजीनियर्स ऑफिसर्स एसोसिएशन ने कहा

सरकारें जब किसी उद्योग को रियायत, छूट, या सब्सिडी देती हैं तो उद्देश्य होता है कि उत्पादन बढ़े और इसका लाभ आम जनता को सस्ती दरों पर मिले। लेकिन छत्तीसगढ़ में पिछले चार वर्षों में इसका उल्टा ही हुआ है। आंकड़ों के अनुसार, स्टील उत्पादकों ने उत्पादन तो बढ़ाया, लेकिन दाम कम होने की बजाय बढ़ते चले गए। 2018-19 में जहां 100 मिलियन टन उत्पादन हुआ और दर 33,833 रु. प्रति टन थी, वहीं 2022-23 में उत्पादन बढ़कर 125 मिलियन टन हो गया और दर 53,036 रु. प्रति टन हो गई।

यह विरोधाभासी स्थिति छत्तीसगढ़ में और भी स्पष्ट है क्योंकि राज्य सरकार की नीतियों ने स्टील उद्योगपतियों के लाभ मार्जिन को बढ़ाया है। छत्तीसगढ़ में देश के कुल स्टील उत्पादन का 30 प्रतिशत होता है और यहां की लौह अयस्क खदानें देश में सर्वाधिक गुणवत्ता वाली हैं। लेकिन आम जनता को इसका लाभ नहीं मिला। 2021-22 में अचानक लोड फैक्टर छूट को 8 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दिया गया, जिससे स्टील उत्पादकों को प्रति वर्ष लगभग 750 करोड़ रु. का अतिरिक्त लाभ मिला, लेकिन प्रदेश में स्टील की दरें डेढ़ गुना तक बढ़ गईं।

राज्य सरकार की नीतियों से स्टील उद्योग को फायदा, आम जनता को महंगाई

छत्तीसगढ़ के उच्चदाब स्टील उद्योगों को चार साल पहले खपत आधारित ऊर्जा प्रभार में दी जाने वाली छूट 8 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दी गई थी, जिससे इन उद्योगों को 68 प्रतिशत का लाभ मिला। वर्तमान में, छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग ने इस छूट को कम कर दिया है, जिससे उद्योगों को मिलने वाला अतिरिक्त फायदा कम हो गया है।

पूर्व में, 2021-22 में, टैरिफ आदेश जारी करते समय लोड फैक्टर छूट को 8 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दिया गया था, जबकि पॉवर कंपनी द्वारा ऐसा कोई प्रस्ताव नियामक आयोग को नहीं भेजा गया था। अब, विद्युत नियामक आयोग ने इसे घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया है। इस प्रकार, इन उद्योगों को मिलने वाली औसतन वार्षिक छूट 300 करोड़ रु. से बढ़कर 1100 करोड़ रु. हो गई थी। इस तरह, इन उद्योगों को लगभग 750 करोड़ रु. प्रतिवर्ष का अतिरिक्त लाभ मिला था।

विद्युत दरों में मामूली बढ़ोतरी, स्टील उद्योग का शोरगुल और सरकार से अनुचित मांग

छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग ने 01 जून 2024 को 2024-25 के लिए विद्युत आपूर्ति की नई दरों की घोषणा की। उच्चदाब स्टील उद्योगों के प्रति यूनिट ऊर्जा प्रभार में 25 पैसे (4.10 प्रतिशत) की वृद्धि की गई है और लोड फैक्टर छूट को 25 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया गया है।

छत्तीसगढ़ राज्य रिटायर्ड पॉवर इंजीनियर्स-ऑफिसर्स एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर राज्य के स्टील उद्योगों द्वारा बिजली की दरों में छूट लेने के प्रयास को अनुचित बताया है। एसोसिएशन ने कहा कि विद्युत नियामक आयोग द्वारा चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 में आम उपभोक्ताओं के घरेलू तथा किसानों के बिजली बिल की दरों में 20 पैसे प्रति यूनिट की वृद्धि की गई है, जबकि उच्चदाब उपभोक्ताओं (स्टील इंडस्ट्रीज) में मात्र 25 पैसे प्रति यूनिट की वृद्धि की गई है।

एसोसिएशन ने बताया कि अगर उद्योगों को उनकी मांग के अनुसार छूट दी जाती है, तो राज्य शासन को अनावश्यक वित्तीय भार उठाना पड़ेगा। राज्य में औसत विद्युत आपूर्ति की लागत 6.92 रु. है। इससे कम में आपूर्ति करने का सीधा मतलब विद्युत दरों के निर्धारण के सिद्धांतों का उल्लंघन है। छत्तीसगढ़ में बिजली की दरें अन्य राज्यों की तुलना में सबसे कम हैं। इस प्रकार, छत्तीसगढ़ की स्टील इंडस्ट्रीज द्वारा अनुचित लाभ के लिए बिजली की दरों में वृद्धि को बहाना बनाकर गुमराह किया जा रहा है, जबकि वास्तविकता यह है कि यहां की दरें अन्य राज्यों की तुलना में कम हैं।

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