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कम समय में अधिक पैसा कमाने का मोह : डंकी रूट का ख़तरनाक सच

दिनेश शर्मा कैथल

अमेरिका से निर्वासित किए गए 104 भारतीय घर लौट चुके हैं। अमेरिका से डिपोर्ट किए गए भारतीयों को मेक्सिको-अमेरिकी सीमा से पकड़ा गया था। जिनके संबध में बताया गया है कि ये लोग एजेंटो को पैसा देकर भारत से रवाना हुए थे, किन्तु अमेरिकी वीजा नहीं मिलने के कारण इन्होंने डंकी रूट के जरिए अमेरिका में घुसने की कोशिश की और गिरफ़्तार हुए। अमेरिका ने जिन अवैध प्रवासी भारतीयों को भेजा है, उनमें से पंजाब से 31, हरियाणा से 33, गुजरात से 33, महाराष्ट्र से 3 उत्तर प्रदेश और चंडीगढ़ से दो भारतीय हैं। हालाँकि यह प्रदेश स्तर पर यह संख्या भिन्न-भिन्न स्त्रोतों से भिन्न-भिन्न प्राप्त हो रही है। जबकि अमेरिका द्वारा जारी की गई सूची में 205 भारतीयों के नाम शामिल थे। बाकी भारतीय कब भारत पहुचेंगे, इस पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता। अमेरिका से भारत पहुंचे भारतीयों में हरियाणा के युवाओं में सर्वाधिक 11 कैथल और 7 करनाल से हैं। वहीं अमेरिका द्वारा जारी की गई 205 लोगों की सूची को देखेंगे तो यह संख्या और बढ़ जाती है।

दरअसल यह कोई नई बात नहीं है। 2008 के बाद अमेरिका से निकाले गए भारतीयों की संख्या क्रमश: 2009 में 734, 2010 में 799, 2011में 597, 2012 में 530, 2013 में 515, 2014 में 591, 2015 में 708, 2016 में 1303, 2017 में 1024, 2018 में 1180, 2019 में 2042, 2020 में 1889, 2021 में 805, 2022 में 862, 2023 में 617 और 2024 में 1368 रही है।

यू एस कस्टम्स एंड बार्डर प्रोटेक्शन के डाटा के अनुसार 95000 से अधिक भारतीय अवैध तरीके से अमेरिका में घुसपैठ करते हुए पकड़े गए हैं। कनाडा और मैक्सिको बार्डर से अधिक हो रही यह घुसपैठ पिछले कुछ सालों में चार से पांच गुणा बढ़ी है। इस दौरान विभिन्न कारणों से बहुत युवा जान से भी हाथ धो बैठते हैं। विगत वर्षों में ऐसे अनेक उदहारण हमारे सामने आए हैं। ऐसे में जब इनके परिवारों तक यह सूचना पहुँचती है तो उन पर वज्रपात होता है। फिर सरकार से शव मंगाने के गुहार लगानी पड़ती है।

आपके लिए यह जानना भी कम दिलचस्प नहीं होगा कि हरियाणा के कैथल, करनाल, कुरुक्षेत्र, जींद, पानीपत, यमुनानगर जैसे जिलों से हजारों युवा विदेशों में जा चुके हैं। गाँव के गाँव खाली हो चुके हैं और घरों में अब केवल बुजुर्ग शेष बचे हैं जो घरों की रखवाली करते प्रतीत होते हैं। करनाल जिले के चिड़ावा ब्लॉक के गाँव घोघड़ीपुर गांव के लगभग 1200 युवा विदेश चले गए हैं। जहां के घरों की छतों पर विशालकाय मूर्तियां दूर से दिख जाती हैं। जो शायद यहां के बाशिंदों की उन विदेशी उड़ानों की ओर संकेत करती है, जो कि खतरनाक डंकी रूट्स लेकर सात समंदर पार जाते हैं। इनमें ज्यादा तादाद अमेरिका जाने वालों की है। कुछ न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी हैं।

ऐसा ही जींद के दुड़ाना गांव में दिखने को मिल रहा है। जिसकी कुल आबादी का लगभग 30 प्रतिशत आबादी सिख परिवारों की है। गांव के 18 से 45 साल के 300 से ज्यादा युवक-युवतियां ने रोजगार पाने के लिए विदेशों में चले गए हैं। नतीजतन गांव के बड़े-बड़े मकान खाली से दिखने लगे हैं। कुछ मकानों में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग ही रहते हैं। अब तो इस गांव के लगभग हर घर से कोई न कोई विदेश चला गया है। गांव के अधिकतर युवा कनाडा, अमेरिका, आस्ट्रेलिया, पुर्तगाल और इंग्लैंड आदि देशों में रहने लगे हैं। गांव के बड़े-बुजुर्ग विदेशों से अपने बेटा-बेटी के आने के इंतजार में जीवन यापन कर रहे हैं। जबकि युवक-युवती विदेशों से अपने घर पैसे भी खूब भेज रहे हैं, लेकिन वह वापस आने के लिए तैयार नहीं है।

भारत में पहले गुजरात फिर पंजाब और अब हरियाणा में युवाओं में विदेश जाने की भावना बहुत प्रबल हो गयी है। सब ओर माता-पिता में बच्चों को विदेश भेजने और युवाओं में विदेश जाने की धुन छायी है। जान के जोखिम के साथ डंकी मार्ग से विदेश जाने लोग औसतन 50 लाख रूपए खर्च करते हैं और येन केन प्रकारेण विदेश पहुँचाने का प्रयास रहता है। इस सम्बन्ध में जब हम बात करते हैं तो विदेश जाने के लिए केवल रोजगार ही एक मुख्य कारण बताया जाता है। जिसे जानकर गलत तो नहीं ही कहा जा सकता किन्तु यह बिल्कुल सही भी नहीं है। अगर आप धैर्य से इस बारे में विचार करेंगे तो पायेंगे की यह सारी जद्दोजहद केवल रोजगार के लिए न होकर अधिक पैसों के लिए है। उदाहरण के लिए करनाल से हम मेरे एक परिचित का संदर्भ ले सकते हैं। जो बताते हैं कि उनका बेटा जो 2 साल पहले अमेरिका गया था। उसने दो ही वर्षों में उसे अमेरिका भेजने में जो लाखों रुपए खर्च हुए थे, वह कर्ज उतार दिया। अभी हाल ही में अपनी बहन की शादी पर खर्च हुए सभी 50-55 लाख का प्रबंध भी किया।

इस प्रकार अवैध रूप से विदेश जाने के लिए लाखों रूपए खर्च किये जाते हैं। माता-पिता अपनी सारी जमीन-संपत्ति अथवा संसाधन बेचकर या कर्ज लेकर इस सारे खर्च का प्रबंधन करते हैं। ताकि अधिकाधिक धन अर्जित किया जा सके। उपरोक्त उदाहरण के अलावा भी आपके आस-पास ऐसे अनेक लोग मिल जायेंगे जिनकी कहानी बिल्कुल इसी प्रकार की है। यह बात किसी एक युवा कि नहीं है बल्कि समूचे हरियाणा में इस तरह का प्रचलन अपने जोर पर है प्रदेश के युवाओं में विदेश जाने की होड-सी लगी है। विशेष रूप से अंबाला, यमुनानगर, कैथल, करनाल और कुरुक्षेत्र हरियाणा के वह जिले हैं जिनके गांव लगभग युवाओं से खाली हो चुके हैं और सभी युवा विदेश में रोजगार की तलाश में निकल गए हैं।

अब तो जब गाँव से किसी परिवार का बेटा-बेटी डंकी मार्ग से मैक्सिको बार्डर से सकुशल निकलकर अमेरिका की सीमा में प्रवेश करता है तो परिवार द्वारा दीवाली की तरह आतिशबाजी करके खुशी मनाई जाती है। जिससे पूरे गाँव को सूचना मिल जाती है की इनका बेटा अथवा बेटी अमेरिका पहुँच गया है। लेकिन यात्रा के दौरान जो दुर्दशा होती है, पुलिस द्वारा पकडे जाने पर जो यातनाएं दी जाती हैं, वह बताते और सुनते हुए आत्मा कांप जाती है और पूरा शरीर सिहर उठता है। इस बारे में जाने कितने ही ब्यान आपको सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म्स पर आपको मिल जायेंगे। हालाँकि इसके पीछे बच्चों की अपने माता-पिता के सामने विदेश जाने की जिद ज्यादातर दिखाई देती है, जो विदेशी चकाचौंध और ऐश्वर्य के प्रभाव में ऐसा निर्णय लेते हैं। जिसे आप उम्र का प्रभाव भी कहा सकते हैं जिसके चलते वे युवा जो घर में काम करते हुए खुद को असहज पाते हैं वही अवैध ढंग से डंकी मार्ग द्वारा विदेश जाने को तत्पर रहते हैं।

जब किसी भी भारतीय युवा को कहीं भी किसी भी देश में अवैध प्रवासी या घुसपैठिए के रूप में पकड़कर जेल में डाल दिया जाता है, निर्वासित किया जाता है तो वह स्थिति हम सभी के लिए विचारणीय हो जाती है। हालाँकि हरियाणा सरकार ने विदेश में रोजगार के लिए जाने के इच्छुक युवाओं को कबूतरबाजों के चंगुल से बचाने की जिम्मेदारी हरियाणा कौशल रोजगार निगम लिमिटेड (एचकेआरएनएल) को सौंपी है। विभिन्न पदों के लिए बाकायदा योग्यताएं और वेतन तय किया गया है, ताकि धोखाधड़ी की कोई संभावना न रहे। विदेश जाने के इच्छुक युवाओं को एचकेआरएनएल खुद विदेश भेजेगा। इस काम में विदेश सहयोग विभाग उसकी मदद करेगा। कॉलेजों में अभी तक करीब 30 हजार छात्र-छात्राओं के निशुल्क पासपोर्ट भी बनाए गए हैं। किन्तु यह पर्याप्त जान नहीं पड़ता।

अब समय आ गया है, हमें गाँव, प्रदेश और देश की स्थितियों और संसाधनों के दृष्टिगत विचार करना होगा और इस प्रकार की समस्याओं का समाधान तलाशना होगा। अब आवश्यता है कि जिस युवा शक्ति का हवाला हम पूरी दुनिया देते हैं, उसके लिए अनुकूल, उसके सपनों के वातावरण का निर्माण करना होगा। रोजगार के उचित और अधिक अवसर पैदा करने होंगे ताकि युवा शक्ति सम्मान से अपने वतन में खुशहाल जीवन व्यतीत कर सके।