दिशाहीन विपक्ष भी राष्ट्र के लिए बड़ा संकट होता है
किसी भी लोकतंत्र के लिए प्रबुद्ध एवं सशक्त विपक्ष का होना अत्यावश्यक है। अगर विपक्ष बुद्धिवान हो्ता है तो पक्ष सही दिशा में चलता है, जिससे राष्ट्र की उन्नति एवं प्रगति का मार्ग प्रशस्त होता है। विपक्ष, सत्ता को सही रास्ते पर चलाने के लिए अंकुश का काम करता है। परन्तु विगत नौ वर्षों में भारत का विपक्ष यह भूमिका नहीं निभा पा रहा।
भारत के वर्तमान विपक्ष का एक सूत्रीय कार्य सता का मार्गदर्शन नहीं सिर्फ़ आंख बंद कर अच्छे/बुरे का विरोध करना हो गया है। देश में असंख्य मुद्दे है, जिन्हें उठाया जाना चाहिए, परन्तु विपक्ष सिर्फ़ जाति, पंथ, धर्म आदि तीन मुद्दे लेकर चल रहा है। जिसमें बेकारी, भुखमरी, गरीबी, स्वचछ जल, खेती किसानी, शिक्षा सहित अन्य गंभीर मुद्दे नदारत हैं।
विपक्ष स्वयं दिशाहीन हो गया है, वह क्या सत्ता को दिशा दिखाएगा। विपक्ष का एकमात्र उद्देश्य सिर्फ़ मोदी का विरोध करना है, मोदी का विरोध करते करते ये कब राष्ट्र के खिलाफ़ खड़े हो जाते हैं इन्हें पता ही नहीं चलता या फ़िर जान बूझकर ऐसा किया जाता है। भारत तेरे टुकड़े होंगे, नारे लगाने वालों के साथ प्रमुख विपक्षी पार्टी का मुखिया समर्थन में जाकर खड़ा हो जाता है।
इन चार वर्षों में जो आवश्यक मुद्दे हैं उन्हें छोड़कर विपक्ष सिर्फ़ समाज में जहर घोलने वाले, जाति से जाति को लड़ाने वाले, धर्म से धर्म को लड़ाने वाले मुद्दे ही उठाए दिखाई दे रहे हैं। सत्ता पाने की बौखलाहट इतनी है कि एक साधरण सी जिन्ना की फ़ोटो जैसी चीज को बड़ा मुद्दा बना दिया जाता है। अब सोच सकते हो तो कि इनकी बुद्धि कहाँ जा रही है।
कांगेस ने भारत में आधी शताब्दी से अधिक शासन किया। बीस सूत्रीय कार्यक्रम से लेकर नेहरु योजना, इंदिरा योजना, राजीव योजना सहित इनके हर घोषणा पत्र में गरीबी हटाओ, मंहगाई हटाओ का मुद्दा प्रमुखता से रहा, परन्तु आज तक न मंहगाई कम हुई, न गरीबी हटी। इन नारों पर वोट लेकर राज तो कर लिया परन्तु गरीबी हटाने का, मंहगाई घटाने के नाम पर सिर्फ़ योजनाएं बनी और वे कचरे के डिब्बे में डाल दी गई।
ऐसा नहीं है कि मोदी सरकार ने इन चार वर्षों में कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं किया होगा। कुछ अच्छे कार्य कर रही तभी विपक्ष को कोई मुद्दा नहीं मिल रहा। इसलिए लाल किला बेच दिया, ताज महल बेच देंगे, फ़लाने की मूर्ति तोड़ दी, फ़लानी जगह से फ़ोटो हटा दी आदि आदि मुद्दे लेकर विरोध जता रहे हैं। इन व्यर्थ के मुद्दों से उठाने से गरीबों का उत्थान एवं पेट नहीं भरने वाला।
विपक्ष द्वारा जनता से जुड़े मुद्दों को प्रकाश में लाया जाए और उन्हें सरकार के समक्ष रखा जाए, जिससे आम जनता का भला हो। व्यर्थ में गाल बजाकर ऊर्जा गंवाने से किसी का कोई फ़ायदा नहीं। इससे न राष्ट्र का भला होगा, न खुद का। अभी भी समय है, एक प्रखर मुखर एवं गरिमामय विपक्ष होने का प्रमाण दीजिए, जिससे लोग याद रखें कि विपक्ष में थे तो इन्होंने उल्लेखनीय काम किया।
ललित शर्मा
सम्पादक