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भारत के प्रमुख महानगरों में बढ़ी भूमि स्तर पर ओज़ोन की सांद्रता

नई दिल्ली, 6 अगस्त 2024: केन्द्र सरकार के विज्ञान और पर्यावरण केंद्र (CSE) द्वारा किए गए नए अध्ययन के अनुसार, 2024 की गर्मियों में भारत के 10 प्रमुख महानगरों में भूमि स्तर पर ओज़ोन की सांद्रता में बढ़ोतरी हुई है। इस सूची में बैंगलोर (कर्नाटका), चेन्नई (तमिलनाडु), दिल्ली-एनसीआर, ग्रेटर अहमदाबाद (गुजरात), ग्रेटर हैदराबाद (तेलंगाना), ग्रेटर जयपुर (राजस्थान), कोलकाता (पश्चिम बंगाल), ग्रेटर लखनऊ (उत्तर प्रदेश), मुंबई (महाराष्ट्र) और पुणे (महाराष्ट्र) शामिल हैं।

अध्ययन के मुख्य बिंदु:

  • ओज़ोन मानक से अधिक होने की घटनाएं: दिल्ली सबसे प्रभावित शहर है, जहां 2024 में 176 दिन ओज़ोन मानक से अधिक दर्ज किए गए हैं। मुंबई और पुणे में 138 दिन, जयपुर में 126 दिन, हैदराबाद में 86 दिन, कोलकाता में 63 दिन, बैंगलोर में 59 दिन, लखनऊ में 49 दिन, और अहमदाबाद में 41 दिन के साथ सबसे कम चेन्नई में 9 दिन हैं।
  • छोटे महानगरों में वृद्धि: अहमदाबाद में ओज़ोन मानक से अधिक होने की घटनाओं में 4,000 प्रतिशत, पुणे में 500 प्रतिशत, और जयपुर में 152 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।
  • गर्मियों में उच्च सांद्रता: जयपुर में भूमि स्तर पर ओज़ोन की औसत सांद्रता 81.2 µg/m³ और पीक 205.9 µg/m³ दर्ज की गई है, जो अन्य शहरों की तुलना में उच्च है।
  • रात के समय ओज़ोन: सभी 10 महानगरों में रात के समय ओज़ोन की सांद्रता बढ़ी हुई पाई गई है। मुंबई में 171 रातें, दिल्ली-एनसीआर में 161 रातें, और पुणे में 131 रातें दर्ज की गई हैं।

CSE की सिफारिशें:

  • नियामक सुधार: NCAP के दूसरे चरण में ओज़ोन और अन्य गैसों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। वाहनों, उद्योग, बिजली संयंत्र और अन्य दहन स्रोतों से निकलने वाली प्रमुख गैसों जैसे नाइट्रोजन ऑक्साइड पर कड़ी निगरानी और नियंत्रण की आवश्यकता है।
  • सूचना प्रणाली: लोगों को ओज़ोन की अत्यधिक सांद्रता के बारे में सूचित करने के लिए एक मजबूत सार्वजनिक सूचना प्रणाली विकसित की जानी चाहिए।

अनुमिता राय चौधरी, CSE की कार्यकारी निदेशक ने कहा: “भूमि स्तर पर ओज़ोन एक अत्यंत प्रतिक्रियाशील गैस है जो स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालती है। इसके लिए तत्काल और प्रभावी कार्रवाई की आवश्यकता है। भारत को ओज़ोन और उसके पूर्ववर्तियों के नियंत्रण की रणनीति को सुधारने की आवश्यकता है ताकि सार्वजनिक स्वास्थ्य को अधिकतम लाभ पहुंचाया जा सके।”

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