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छत्तीसगढ़ में 85 प्रतिशत ई-केवाईसी पूर्ण, 2.73 करोड़ हितग्राही सार्वजनिक वितरण प्रणाली से जुड़े

रायपुर, 30 दिसंबर 2025/ छत्तीसगढ़ में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत वर्तमान में 82.18 लाख राशन कार्ड प्रचलित हैं, जिनमें पंजीकृत सदस्यों की कुल संख्या 2.73 करोड़ है। केंद्र सरकार के निर्देशानुसार राज्य सरकार वास्तविक हितग्राहियों तक योजनाओं का लाभ सुनिश्चित करने के उद्देश्य से ई-केवाईसी की प्रक्रिया लगातार आगे बढ़ा रही है। अब तक 2.30 करोड़ सदस्यों का ई-केवाईसी पूरा हो चुका है, जो कुल पंजीकृत सदस्यों का लगभग 85 प्रतिशत है। शेष लगभग 30.32 लाख सदस्यों का ई-केवाईसी किया जाना बाकी है।

खाद्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि राज्य की सभी शासकीय उचित मूल्य दुकानों में संचालित ई-पॉस मशीनों के माध्यम से ई-केवाईसी की सुविधा उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त भारत सरकार द्वारा जारी ‘मेरा ई-केवाईसी’ मोबाइल ऐप के माध्यम से भी यह प्रक्रिया पूरी की जा सकती है। एंड्रॉयड मोबाइल उपयोगकर्ता गूगल प्ले स्टोर से ऐप डाउनलोड कर आधार नंबर और ओटीपी के जरिए फेस ई-केवाईसी कर सकते हैं।

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वर्तमान में प्रदेश में 14,040 शासकीय उचित मूल्य दुकानें संचालित हो रही हैं, जहां पंजीकृत राशन कार्डधारी अपनी पसंद की दुकान से खाद्यान्न प्राप्त कर रहे हैं। वर्ष 2025 की अनुमानित जनसंख्या के आधार पर प्रदेश की लगभग 89 प्रतिशत आबादी सार्वजनिक वितरण प्रणाली के दायरे में आ चुकी है। राशन वितरण को अधिक पारदर्शी बनाने के लिए आधार सीडिंग का कार्य भी तेजी से किया गया है, जिसके तहत 99.7 प्रतिशत सदस्यों का आधार सीडिंग पूर्ण हो चुका है।

अधिकारियों के अनुसार, खाद्यान्न सुरक्षा के अंतर्गत 2.73 करोड़ से अधिक लोग नियमित रूप से उचित मूल्य दुकानों के माध्यम से राशन प्राप्त कर रहे हैं। इनमें प्राथमिकता श्रेणी के 73 लाख से अधिक परिवारों को निःशुल्क चावल उपलब्ध कराया जा रहा है, जबकि लगभग साढ़े आठ लाख गरीबी रेखा से ऊपर जीवन यापन करने वाले परिवारों को रियायती दर पर चावल दिया जा रहा है। प्राथमिकता वाले परिवारों को आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन बी-12 युक्त फोर्टिफाइड चावल भी वितरित किए जा रहे हैं।

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राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी नियद नेल्लानार योजना के तहत बस्तर संभाग के बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा, नारायणपुर और कांकेर जिलों के चयनित 402 दूरस्थ ग्रामों के 42,220 राशन कार्डधारियों को खाद्यान्न के साथ चना, शक्कर, नमक और गुड़ का निःशुल्क वितरण किया जा रहा है। यह योजना दूरस्थ और संवेदनशील क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है।