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नक्सल पीड़ित परिवारों और आत्मसमर्पित नक्सलियों के लिए पक्के आशियाने का सपना हो रहा साकार

रायपुर, 5 अगस्त 2025/ छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दूरस्थ वनांचलों के हर परिवार को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए राज्य सरकार लगातार पहल कर रही है। नक्सल पीड़ित परिवारों और आत्मसमर्पित नक्सलियों के पुनर्वास हेतु एक विशेष परियोजना के अंतर्गत करीब तीन हजार पक्के आवास निर्माणाधीन हैं।

छत्तीसगढ़ सरकार ने केंद्र सरकार से विशेष आग्रह कर ऐसे पात्र परिवारों के लिए, जो प्रधानमंत्री आवास योजना की सामान्य शर्तों के अंतर्गत नहीं आते थे, 15 हजार आवासों की विशेष स्वीकृति दिलवाई है। इनमें से राज्य में अब तक पात्र पाए गए पांच हजार परिवारों में से तीन हजार परिवारों को आवास स्वीकृत किए जा चुके हैं। इनमें 2111 परिवारों को पहली किस्त तथा 128 परिवारों को दूसरी किस्त भी जारी की जा चुकी है।

नक्सल हिंसा से प्रभावित सुकमा की सोडी हुंगी और कांकेर की दसरी बाई का आवास, दुर्गम क्षेत्रों में और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद केवल तीन महीनों में तैयार कर लिया गया है। इस वर्ष मार्च में स्वीकृति और मई में निर्माण प्रारंभ होने के बाद जुलाई में आवास बनकर तैयार हो गया।

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बस्तर क्षेत्र के नक्सल प्रभावित और आत्मसमर्पित नक्सलियों के परिवारों के लिए यह परियोजना नई आशा लेकर आई है। कठिन परिस्थिति और सीमित संसाधनों के बावजूद शासन-प्रशासन के सहयोग से अब उनके सपनों का घर आकार ले रहा है।

दसरी बाई: विषम परिस्थितियों में भी तीन महीने में आवास निर्माण पूरा

कांकेर जिले के कोयलीबेड़ा विकासखण्ड के उलिया ग्राम पंचायत में रहने वाली दसरी बाई नुरूटी के पति दोगे नुरूटी की विधानसभा चुनाव के दौरान माओवादी हिंसा में मृत्यु हो गई थी। उसे मार्च में विशेष परियोजना के अंतर्गत आवास की स्वीकृति मिली, और मई से निर्माण शुरू होकर तीन महीनों में ही पूरा हो गया।

वह बताती हैं कि दुर्गम और अंदरूनी क्षेत्र होने के कारण निर्माण सामग्री लाना महंगा और कठिन था। बारिश के दौरान रास्ता और अधिक कठिन हो जाता था। ग्राम पंचायत और जिला प्रशासन के सक्रिय सहयोग से ही यह संभव हो पाया।

सोडी हुंगी: बरसों बाद पक्के मकान की राहत

सुकमा जिले के गादीरास ग्राम पंचायत के आश्रित गांव ओईरास की सोडी हुंगी के पति मासा सोडी की हत्या वर्ष 2005 में नक्सलियों ने मुखबिरी के संदेह में कर दी थी। बरसों तक वह कच्चे और टपकते मकान में रहने को विवश थी। प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के विशेष परियोजना अंतर्गत उसे 1.35 लाख रुपये की तीन किस्तों में सहायता मिली और जुलाई 2025 में उसका मकान बनकर तैयार हुआ।

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सर्वाधिक स्वीकृतियाँ सुकमा, बीजापुर और नारायणपुर में

विशेष परियोजना के तहत अब तक कुल करीब तीन हजार आवास स्वीकृत हुए हैं। जिलेवार विवरण: सुकमा – 984 परिवार,बीजापुर – 761 परिवार, नारायणपुर – 376 परिवार, दंतेवाड़ा – 251, बस्तर – 214, कोंडागांव – 166, कांकेर – 146, गरियाबंद – 27, बलरामपुर-रामानुजगंज – 25, मानपुर-मोहला-अंबागढ़ चौकी – 23

यह ईंट और सीमेंट नहीं, विश्वास और स्थायित्व की नींव है – मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि राज्य सरकार “विश्वास, विकास और पुनर्वास” की नीति पर कार्य कर रही है। 15 हजार विशेष आवासों की स्वीकृति इसी नीति की एक सशक्त अभिव्यक्ति है। यह सिर्फ ईंट और सीमेंट का ढांचा नहीं, बल्कि सुरक्षा और सम्मान की नींव है।

मानवीय गरिमा और सामाजिक न्याय की दिशा में ऐतिहासिक कदम – उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा

उप मुख्यमंत्री एवं गृह मंत्री विजय शर्मा ने कहा कि आत्मसमर्पित नक्सलियों और हिंसा पीड़ित परिवारों को सम्मान, सुरक्षा और स्थायी पुनर्वास देना राज्य सरकार की प्राथमिकता है। सोडी हुंगी और दसरी बाई जैसे उदाहरण दर्शाते हैं कि शासन-प्रशासन की संवेदनशीलता और सक्रियता से विकास की रोशनी सबसे दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुँच सकती है।

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