छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: 3200 करोड़ के बहुचर्चित घोटाले में 22 आबकारी अधिकारी निलंबित, जांच की आंच पूर्व मंत्री तक पहुँची
रायपुर, 10 जुलाई 2025/ छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित बी-पार्ट शराब घोटाले को लेकर राज्य सरकार ने एक बड़ा प्रशासनिक कदम उठाते हुए वाणिज्यिक कर (आबकारी) विभाग के 22 अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने मामले को लेकर सख्त रुख अपनाते हुए स्पष्ट कहा कि यह घोटाला पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुआ था और वर्तमान सरकार इसकी निर्भीक जांच करवा रही है। मुख्यमंत्री ने दो टूक कहा, “जो भी दोषी होंगे, उन्हें किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।”
वाणिज्यिक कर विभाग द्वारा 22 अधिकारियों के निलंबन आदेश जारी कर दिए गए हैं। इससे पहले, 7 जुलाई को आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने विशेष अदालत में करीब 2300 पन्नों का चतुर्थ पूरक चालान दाखिल किया, जिसे न्यायालय ने स्वीकार कर लिया है। इसमें 29 आबकारी अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है। हालांकि, गिरफ्तारी की आशंका के चलते कोई भी आरोपी कोर्ट में उपस्थित नहीं हुआ। अब न्यायालय ने उन्हें 20 अगस्त तक पेश होने के लिए नोटिस जारी किया है।
निलंबित अधिकारी:
जनार्दन कौरव, अनिमेष नेताम, विजय सेन शर्मा, अरविंद पाटले, प्रमोद नेताम, रामकृष्ण मिश्रा, विकास गोस्वामी, इकबाल खान, नितिन खंडुजा, नवीन प्रताप तोमर, मंजुश्री कसेर, सौरभ बख्शी, दिनकर वासनिक, मोहित जायसवाल, नीतू नोतानी ठाकुर, गरीबपाल सिंह दर्दी, नोहर सिंह ठाकुर, सोनल नेताम, प्रकाश पाल, अलेख सिदार, आशीष कोसम, राजेश जायसवाल।
आरोपी बनाए गए 7 सेवानिवृत्त अधिकारी:
ए. के. सिंह, जे. आर. मंडावी, जी. एस. नुरूटी, देवलाल वैष, ए. के. अनंत, वेदराम लहरे, एल. एल. ध्रुव।
क्या है बी-पार्ट शराब घोटाला?
वर्ष 2019 से 2023 के बीच, छत्तीसगढ़ के 15 प्रमुख जिलों में पदस्थ आबकारी अधिकारियों और प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से सरकारी शराब दुकानों में अवैध रूप से “बी-पार्ट” देसी शराब की समानांतर बिक्री की गई। यह शराब बिना शुल्क चुकाए सीधे डिस्टलरी से अधिक खपत वाले जिलों में भेजी जाती थी और वैध शराब के साथ मिलाकर बेची जाती थी।
इस सुनियोजित नेटवर्क में डिस्टलरी संचालक, ट्रांसपोर्टर, सेल्समैन, सुपरवाइजर, जिला प्रभारी अधिकारी, मंडल प्रभारी, वृत्त प्रभारी और मैन पावर एजेंसियों के कर्मचारी शामिल थे। अवैध रूप से अर्जित राशि को “सिंडीकेट” नामक गिरोह तक पहुंचाया जाता था।
घोटाले की अनुमानित राशि बढ़कर हुई 3200 करोड़
शुरुआती जांच में घोटाले की राशि 2174 करोड़ रुपये आंकी गई थी, लेकिन अब तक के साक्ष्यों, 60,50,950 पेटी अवैध शराब की बिक्री के रिकॉर्ड, और 200 से अधिक गवाहों के बयान व डिजिटल प्रमाणों के आधार पर यह अनुमानित घोटाला 3200 करोड़ रुपये से अधिक का बताया जा रहा है।
अब तक हुई प्रमुख गिरफ्तारियाँ
अब तक इस घोटाले में जिन प्रमुख लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उनमें अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर, अरुणपति त्रिपाठी, कवासी लखमा, विजय भाटिया सहित कुल 13 आरोपी शामिल हैं। FIR में 70 आरोपियों को नामजद किया गया है। न्यायालय में चार अभियोग पत्र (एक मूल और तीन पूरक) अब तक प्रस्तुत किए जा चुके हैं।
पूर्व मंत्री के संरक्षण में हुआ घोटाला
जांच में यह सामने आया है कि घोटाले के पीछे पूर्व मंत्री कवासी लखमा का संरक्षण था। उनके माध्यम से विभागीय अधिकारियों, सहयोगियों और ठेकेदारों ने यह सुनियोजित घोटाला अंजाम दिया। जांच में यह भी सामने आया है कि पूर्व मंत्री को व्यक्तिगत लाभ के रूप में करीब 64 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त हुई, जिसे निजी और पारिवारिक उपयोग में खर्च किया गया।
EOW और ACB द्वारा अभी भी इस मामले की गहन जांच जारी है। जांच अब विदेशी शराब में लिए गए सिंडीकेट कमीशन, धन शोधन के नेटवर्क, और राज्य स्तरीय समन्वय तंत्र की परतें खोलने पर केंद्रित है। यह छत्तीसगढ़ के इतिहास के सबसे बड़े वित्तीय घोटालों में से एक माना जा रहा है, जिसकी परिणति आने वाले दिनों में और बड़े खुलासों के रूप में सामने आ सकती है।
यह कार्रवाई न केवल प्रदेश में प्रशासनिक जवाबदेही और पारदर्शिता को मजबूती प्रदान करती है, बल्कि यह संदेश भी देती है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ किसी भी स्तर पर समझौता नहीं किया जाएगा।