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छत्तीसगढ़: दो वरिष्ठ माओवादी नेताओं ने आत्मसमर्पण किया, एक शिक्षा इकाई प्रमुख और दूसरी प्रेस टीम की सदस्य

छत्तीसगढ़ में नक्सल प्रभावित क्षेत्र से एक बड़ी सफलता की खबर सामने आई है। बुधवार को दो वरिष्ठ माओवादी नेताओं ने सुरक्षा बलों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। आत्मसमर्पण करने वालों में एक शिक्षा इकाई का प्रमुख और दूसरी महिला प्रेस टीम की सदस्य हैं।

करीब दो दशकों से सक्रिय रहे जीवन तुलावी (45) और उनकी पत्नी अगाशा (35) ने मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिले में आत्मसमर्पण किया, जो राज्य की राजधानी रायपुर से लगभग 180 किलोमीटर दूर स्थित है। अधिकारियों के अनुसार, जीवन तुलावी उर्फ राम तुलावी माड़ डिवीजन में माओवादी शिक्षा टीम के प्रमुख के रूप में कार्यरत थे, जबकि अगाशा उर्फ आरती कोर्राम प्रेस टीम में काम करती थीं और संगठन की प्रेस विज्ञप्तियाँ तैयार करने का काम करती थीं।

राज्य पुलिस ने जीवन तुलावी पर 8 लाख रुपये का इनाम घोषित कर रखा था। यह आत्मसमर्पण रायगढ़नगांव रेंज के पुलिस महानिरीक्षक अभिषेक शांडिल्य, पुलिस अधीक्षक वाई. पी. सिंह और 27वीं इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस के कमांडेंट विवेक कुमार पांडे की उपस्थिति में हुआ।

सुरक्षा बलों ने इसे नक्सलियों के वैचारिक ढांचे पर एक बड़ी चोट करार दिया है। अधिकारियों के अनुसार, यह दोनों माओवादी युवाओं को वैचारिक रूप से तैयार करने और संगठन में नई भर्ती की जिम्मेदारी निभा रहे थे।

जीवन तुलावी ने 2008 में पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी की सैन्य इकाई के साथ नक्सली गतिविधियों में कदम रखा था। बाद में उन्होंने संगठन के “मोबाइल पॉलिटिकल स्कूल” के माध्यम से विचारधारात्मक शिक्षा देने का कार्य संभाला। वे परविडीह गांव के निवासी हैं और माड़ डिवीजन के तहत आने वाले अबूझमाड़ क्षेत्र के लगभग सभी गांवों में जाकर राजनीतिक प्रशिक्षण दे चुके हैं।

वहीं, अगाशा का संबंध जिले के तेलीटोला गांव से है। वे माड़ डिवीजन की चेतना नाट्य मंडली की कमांडर भी रही हैं। वे एक कुशल गायिका, नृत्यांगना, कवयित्री और वक्ता होने के साथ-साथ संगठन के लिए गीत भी लिखती थीं। इसके अलावा, वे कंप्यूटर चलाकर प्रेस नोट तैयार करती थीं।

इस जिले की सीमाएं कांकेर और महाराष्ट्र के गढ़चिरोली से लगती हैं। क्षेत्र में इन दिनों केंद्रीय सरकार की माओवाद उन्मूलन योजना के तहत व्यापक अभियान चलाए जा रहे हैं, जिसका लक्ष्य मार्च 2026 तक देश से माओवादी गतिविधियों को खत्म करना है।