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चना बीजोपचार से बढ़ेगी उपज, मिट्टी जनित बीमारियों से मिलेगी सुरक्षा

रायपुर, 31 अक्टूबर 2025/ चने की फसल को मुरझाने, बीमारियों और संक्रमण से बचाने के लिए चने के बीज का उपचार एक आवश्यक अभ्यास है। रोपण से पहले बीजों को फफूंदनाशकों और कीटनाशकों से उपचारित करके किसान यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि उनकी फसल को मजबूत शुरुआत मिले और उपज के नुकसान की संभावना कम हो।

चना बीज उपचार के लाभ

मुरझाने से बचाता है: चने का मुरझाना एक कवक रोग है जिसके कारण पौधे मुरझा सकते हैं और मर सकते हैं। फफूंदनाशी से बीज उपचार करने से इस रोग से बचा जा सकता है।

बीमारियों को नियंत्रित करता है: चने की फसलें कई बीमारियों के प्रति संवेदनशील होती हैं, जिनमें एस्कोकाइटा ब्लाइट, बोट्रीटिस ग्रे मोल्ड और फ्यूजेरियम विल्ट शामिल हैं। फफूंदनाशकों से बीज उपचार करने से इन रोगों को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।

संक्रमण को रोकता है: चने की फसलें एफिड्स, लीफमाइनर और थ्रिप्स जैसे कीटों के संक्रमण के प्रति भी संवेदनशील होती हैं। कीटनाशकों से बीज उपचार करने से इन संक्रमणों को रोकने में सहायता मिलती है।

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रबी सीजन की शुरुआत अक्टूबर के पहले सप्ताह से ही हो चुकी है। इस दौरान किसान चना बोने की तैयारी में जुटे हुए हैं। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, चने की फसल में अक्सर सूखने (विल्ट) की समस्या देखी जाती है, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है, लेकिन अगर किसान बुआई से पहले सही तरीके से चने का बीजोपचार कर लें, तो यह समस्या जड़ से समाप्त हो सकती है।

रोपण से पहले बीजों को अच्छी तरह उपचारित करें

रोपण से कम से कम 24 घंटे पहले बीजों को उपचारित करना चाहिए। इससे फफूंदनाशी और कीटनाशक को सूखने और बीजों से चिपकने का समय मिल जाता है।

कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि चने की बुआई से पहले न सिर्फ बीजोपचार करना जरूरी है, बल्कि इसे सही तरीके से करना भी आवश्यक है, अन्यथा उपचार के बाद भी बीमारियां लग सकती हैं। इसके लिए किसानों को पांच चीजों — कार्बोक्सिन, ट्राइकोडर्मा, अमोनियम मोलिब्डेट, रायजोबियम कल्चर और पीएसबी कल्चर — को मिलाकर बीजोपचार करना चाहिए। इससे फसल मजबूत बनती है, बीमारियों से बचाव होता है और उत्पादन में वृद्धि होती है, जबकि सूखने की समस्या लगभग समाप्त हो जाती है।

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इन पांच चीजों से करें चने का बीजोपचार

कृषि वैज्ञानिक डॉ. राजीव सिंह ने कहा कि चने में बीजोपचार के लिए किसान एक किलो बीज के लिए 2.5 ग्राम कार्बोक्सिन और 5 ग्राम ट्राइकोडर्मा पाउडर से बीजोपचार करें। यह फफूंदनाशक उपचार फसल को मिट्टी जनित बीमारियों से बचाता है और पौधों की प्रारंभिक वृद्धि को मजबूत बनाता है। इसके अलावा, चने की फसल में जड़ों पर गांठें (नोड्यूल्स) बढ़ाने के लिए किसान एक ग्राम अमोनियम मोलिब्डेट का प्रयोग करें। इससे पौधों में नाइट्रोजन फिक्सेशन की प्रक्रिया बेहतर होती है और उत्पादन में वृद्धि होती है।

बीजोपचार में इन्हें भी करें शामिल

बीजोपचार में रायजोबियम कल्चर और पीएसबी (फॉस्फेट सॉल्यूबिलाइजिंग बैक्टीरिया) कल्चर को भी शामिल करना चाहिए। दोनों का उपयोग एक किलो बीज पर 5-5 ग्राम किया जा सकता है। ये जैव उर्वरक मिट्टी की उर्वरता बढ़ाते हैं और पौधों को पोषक तत्वों का बेहतर अवशोषण करने में मदद करते हैं।