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बन वसंत बरनत मन फूल्यौ : बसंत पंचमी विशेष

बसंत ऋतु कवियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रही है। कालिदास से लेकर आधुनिक हिंदी कवियों तक, सभी ने अपने काव्य में इस ऋतु की छटा बिखेरी है। बसंत को प्रेम, सौंदर्य, उल्लास और नवजीवन का प्रतीक माना जाता है, जो काव्य और साहित्य को मधुरता प्रदान करता है। बसंत पंचमी केवल ऋतु परिवर्तन का प्रतीक ही नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपरा का अभिन्न हिस्सा है। इसका संबंध ज्ञान, प्रेम, सौंदर्य और उल्लास से है। यह पर्व पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति की महानता को दर्शाता है।

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बजट 2025 विश्लेषण, क्या सस्ता क्या मंहगा

मध्यम वर्ग के लिए: टैक्स में राहत, महंगी वस्तुओं पर कस्टम ड्यूटी में बदलाव और ईंधन की कीमतों में स्थिरता से लाभ होगा।

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बजट 2025 की प्रमुख घोषणाएं

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज 2025-26 के लिए केंद्रीय बजट प्रस्तुत किया, जिसमें कृषि, विनिर्माण, मध्यम वर्ग की क्रय शक्ति बढ़ाने और समावेशी विकास पर विशेष ध्यान दिया गया है। बजट की प्रमुख घोषणाएँ निम्नलिखित हैं:

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भारतवर्ष के अमृतकाल मे वंदे मातरम की प्रासंगिकता

विश्व इतिहास मे नारों का अपना इतिहास रहा हैं, कभी कभी तो एक नारा पूरे आंदोलन को बदल के रख देता हैं। इतिहास मे ऐसे कई उदाहरण हैं, जैसे स्वराज मेरा जन्मसिद्धह अधिकार हैं, गरीबी हटाओ आदि आदि। वर्तमान के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव मे भी हमने देखा होगा की कैसे कुछ नारे “एक हैं तो सेफ हैं” या “बटेंगे तो कटेंगे” पूरे चुनाव मे हावी रहा

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तीन नदियों के संगम और आध्यात्मिक धरोहर का केंद्र सांकरदाहरा

सांकरदाहरा में शिवनाथ नदी के संगम के साथ डालाकस और कुर्रू नाला नदियां मिलती हैं। यहां नदी तीन धाराओं में बंट जाती है और फिर सांकरदाहरा के नीचे आपस में मिलती हैं। इस संगम पर स्थित मंदिर और नदी तट पर बनी भगवान शंकर की 32 फीट ऊंची विशालकाय मूर्ति हर आने वाले को मंत्रमुग्ध कर देती है। मंदिर का रमणीय दृश्य और नौका विहार की सुविधा इस स्थल को और भी खास बनाती है।

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