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हिन्दी से लोक भाषाओं तथा बोलियों का अंतरसंबंध : हिन्दी दिवस विशेष

हिन्दी, भारत की राजभाषा होने के साथ-साथ व्यापक रूप से उपयोग में आने वाली भाषा है। इसके साथ ही, विभिन्न क्षेत्रीय भाषाएँ और बोलियाँ भी अस्तित्व में हैं जो भारत के सांस्कृतिक ताने-बाने को समृद्ध करती हैं। हिन्दी और इन लोक भाषाओं और बोलियों का आपसी संबंध अत्यंत गहरा और पुराना है।

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पुस्तक -चर्चा आँसू ल पी थे महतारी ; एकांत श्रीवास्तव का कविता -संग्रह ‘अँजोर

छत्तीसगढ़ी नई कविताओं के हिंदी अनुवाद सहित एकांत श्रीवास्तव का नया कविता संग्रह ‘अँजोर’ कविता की दुनिया में नई रौशनी लेकर आया है। इस संग्रह में 42 छत्तीसगढ़ी कविताओं के साथ उनके हिंदी अनुवाद भी दिए गए हैं। कविताओं में छत्तीसगढ़ के गाँवों और लोकजीवन की सोंधी महक महसूस की जा सकती है। संग्रह को कवि ने त्रिलोचन की कृति ‘अमोला’, छत्तीसगढ़ की मिट्टी कन्हार, और कोरोना काल में खोए प्रियजनों को समर्पित किया है। संग्रह में ‘पियास’ जैसी कविताएँ जीवन और समाज के गहरे मर्म को छूती हैं, जो अपनी माटी से जुड़ी भावुकता और संवेदनशीलता का परिचय देती हैं।

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रायगढ़ की साहित्यिक समृद्धि के सूत्रधार : डॉ. बल्देवप्रसाद मिश्र

छत्तीसगढ़ का पूर्वी सीमान्त आदिवासी बाहुल्य जिला रायगढ़ केवल सांस्कृतिक ही नहीं बल्कि साहित्यिक दृष्टि से भी सम्पनन रहा है।

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साहित्य मनीषी आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी

आधुनिक हिन्दी साहित्य का इतिहास अधूरा ही रह जाएगा, अगर उसमें आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का उल्लेख ना हो। आज 19 अगस्त को उनका जन्म दिन है। उन्हें विनम्र नमन। उनका सम्पूर्ण जीवन आधुनिक हिन्दी साहित्य के इतिहास का एक यादगार स्वर्णिम अध्याय है।

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प्राचीन छत्तीसगढ़ के रचयिता प्यारेलाल गुप्त की साहित्य साधना

रविशकर वि”वविद्यालय रायपुर से सन् 1973 में प्रकाशित इस ग्रंथ में प्रागैतिहासिक काल से लेकर आधुनिक युग के पूर्व तक का श्रृंखलाबद्ध इतिहास है। इस ग्रंथ में न केवल प्राचीन छत्तीसगढ़ का इतिहास बल्कि सांस्कृतिक परम्पराओं, लोक कथाओं, पुरातत्व और साहित्य का उल्लेख है। इस ग्रंथ को ‘छत्तीसगढ़ का इनसाइक्लोपीडिया‘ माना जा सकता है। उन्होंने छत्तीसगढ़ की पदयात्रा करके इस ग्रंथ के लिए सामग्री जुटायी थी।

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एक युग, अनेक भूमिकाएं : हरि ठाकुर

हिन्दी और छत्तीसगढ़ी भाषाओं के वह एक ऐसे कवि थे, जिनकी कविताओं में और जिनके गीतों में अन्याय और शोषण की जंजीरों से माटी -महतारी की मुक्ति की बेचैन अभिव्यक्ति मिलती है। वह एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, इतिहासकार, पत्रकार, लेखक, वकील, सामाजिक कार्यकर्ता और छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण आंदोलन के अग्रणी नेता भी थे।

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