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साहित्य मनीषी आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी

आधुनिक हिन्दी साहित्य का इतिहास अधूरा ही रह जाएगा, अगर उसमें आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का उल्लेख ना हो। आज 19 अगस्त को उनका जन्म दिन है। उन्हें विनम्र नमन। उनका सम्पूर्ण जीवन आधुनिक हिन्दी साहित्य के इतिहास का एक यादगार स्वर्णिम अध्याय है।

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प्राचीन छत्तीसगढ़ के रचयिता प्यारेलाल गुप्त की साहित्य साधना

रविशकर वि”वविद्यालय रायपुर से सन् 1973 में प्रकाशित इस ग्रंथ में प्रागैतिहासिक काल से लेकर आधुनिक युग के पूर्व तक का श्रृंखलाबद्ध इतिहास है। इस ग्रंथ में न केवल प्राचीन छत्तीसगढ़ का इतिहास बल्कि सांस्कृतिक परम्पराओं, लोक कथाओं, पुरातत्व और साहित्य का उल्लेख है। इस ग्रंथ को ‘छत्तीसगढ़ का इनसाइक्लोपीडिया‘ माना जा सकता है। उन्होंने छत्तीसगढ़ की पदयात्रा करके इस ग्रंथ के लिए सामग्री जुटायी थी।

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एक युग, अनेक भूमिकाएं : हरि ठाकुर

हिन्दी और छत्तीसगढ़ी भाषाओं के वह एक ऐसे कवि थे, जिनकी कविताओं में और जिनके गीतों में अन्याय और शोषण की जंजीरों से माटी -महतारी की मुक्ति की बेचैन अभिव्यक्ति मिलती है। वह एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, इतिहासकार, पत्रकार, लेखक, वकील, सामाजिक कार्यकर्ता और छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण आंदोलन के अग्रणी नेता भी थे।

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साहित्य महर्षि लाला जगदलपुरी : पुण्यतिथि विशेष

लाला जगदलपुरी ने अपनी 93 साल की जीवन यात्रा के 77 साल साहित्य साधना में लगा दिए। सृजन चाहे आधुनिक

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वरिष्ठ साहित्यकार उमेश कुमार चौरसिया की नई कृति “इदं राष्ट्राय” का विमोचन

राजस्थान क्षेत्र शिक्षा समूह को बैठक के दौरान अखिल भारतीय साहित्य परिषद राजस्थान के क्षेत्रीय संयुक्त मंत्री वरिष्ठ साहित्यकार उमेश कुमार चौरसिया की नई कृति “इदं राष्ट्राय” का विमोचन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के माननीय क्षेत्रीय प्रचारक श्रीयुत निम्बाराम जी के शुभ कर कमलों से हुआ।

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छत्तीसगढ़ में पले बढ़े छत्तीस भाषाओं के महारथी

छत्तीसगढ़ की माटी में, रायपुर की धरती पर पले-बढ़े हरिनाथ डे भी दुनिया की उन्हीं भूली-बिसरी विलक्षण प्रतिभाओं में से थे। उनकी जीवन यात्रा सिर्फ 34 साल की रही, लेकिन जुनून की हद तक भाषाएँ सीखने की दीवानगी ने उन्हें विश्व के महानतम भाषाविदों की प्रथम पंक्ति में प्रतिष्ठित कर दिया। उन्होंने छत्तीस भाषाओं का ज्ञान अर्जित किया।

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