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आजादी के बाद भोपाल भी था कश्मीर बनने की राह पर : भोपाल विलय दिवस

संघर्ष, बलिदान और आँदोलन के एक लंबे सिलसिले के बाद 1 जून 1949 भोपाल रियासत भारतीय गणतंत्र का अंग बनी।

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जानिए विवेकानन्द शिला स्मारक के महत्व को, जहाँ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ध्यान करेंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 31 मई और 1 जून को कन्याकुमारी समुद्र के मध्य में स्थित विवेकानन्द शिला स्मारक पर

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दोहरा आजीवन कारावास, सर्वाधिक प्रताड़ना झेलने वाले वीर सावरकर

यदि तेल निकालने की मात्रा कम हो तो पिटाई होती थी। भोजन नहीं दिया जाता था। उसी जेल में उनके भाई भी थे पर दोनों भाई एक दूसरे से मिलना तो दूर देख भी नहीं सकते थे। पूरी जेल में सावरकर जी एकमात्र ऐसे कैदी थे, जिनके गले में अंग्रेजों ने एक पट्टी लटका रखी थी। इस पर “D” लिखा था । “D” अर्थात डेंजरस। यातनाएँ देने का यह चक्र चला लगभग ग्यारह वर्ष चला।

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कालीपानी जेल में जनेऊ के रक्षार्थ अनशन कर प्राणाहुति देने वाले क्रांतिकारी

27 मई 1919 : सुप्रसिद्ध क्रांतिकारी रामरक्खा का बलिदान सुप्रसिद्ध क्राँतिकारी रामरख्खा ऐसे बलिदानी थे जिन्होंने पहले अंग्रेजों से भारत

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सुप्रसिद्ध क्रांतिकारी विपिन चंद्र पाल का पुण्य स्मरण

जब क्राँतिकारियों के शस्त्र गरजने लगे तो अहिसंक आँदोलन कारियों ने थोड़ी दूरी बनाई। तभी अंग्रेजों ने 1905 में बंगाल विभाजन का निर्णय लिया। तब दोनों धाराएँ समीप आईं। इसके अग्रणी नेताओं में विपिन चंद्र पाल हैं।

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पंच परिवर्तनों से होगा समाज में परिवर्तन

इस पंच परिवर्तन में पांच आयाम शामिल किए गए हैं – (1) स्व का बोध अर्थात स्वदेशी, (2) नागरिक कर्तव्य, (3) पर्यावरण, (4) सामाजिक समरसता एवं (5) कुटुम्ब प्रबोधन।

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