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भारत की कालजयी सांस्कृतिक धरोहर : सरगुजा का रामगढ़

छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में स्थित रामगढ़ न केवल इस अंचल का प्राचीनतम स्थल है, बल्कि यह भारतीय सांस्कृतिक विरासत की एक अनमोल धरोहर भी है।

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भोपाल का स्वाधीनता संघर्ष भारत की आजादी के बाद भी जारी रहा

भोपाल का स्वाधीनता संघर्ष न केवल नबाबी शासन के खिलाफ एक लंबी लड़ाई थी, बल्कि यह भारतीय गणतंत्र के निर्माण में एक महत्वपूर्ण अध्याय भी है। यह संघर्ष सशस्त्र विद्रोह से लेकर अहिंसक जन आन्दोलनों तक, बलिदानों और दृढ़ संकल्प की कहानी है।

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स्वाभिमान और स्वतंत्रता के प्रतीक महाराणा प्रताप का शौर्य

भारतीय इतिहास में स्वाभिमान और स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में अमर हैं। उनका जन्म 9 मई 1540 को कुम्भलगढ़, राजस्थान में हुआ और उन्होंने अपने जीवन में मुगल सम्राट अकबर की अधीनता स्वीकार करने से साफ इनकार कर दिया।

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एक ऐसी प्राचीन पुस्तक जिसे आज तक कोई पढ़ नहीं पाया

मानव सभ्यता के इतिहास में ऐसे अनेक रहस्य हैं, जिनके उत्तर आज तक हमें नहीं मिल पाए। यह रहस्य कभी पत्थरों पर खुदे संकेतों में छिपे होते हैं, तो कभी ऐसी पांडुलिपियों में, जिन्हें पढ़ने-समझने का प्रयास आज तक चल ही रहा है। ऐसी ही एक रहस्यमयी पांडुलिपि (पुस्तक) है

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भारतीय सभ्यता के एकीकरण के प्रणेता : विष्णु श्रीधर वाकणकर

हरिभाऊ की सबसे प्रसिद्ध उपलब्धि भीमबेटका की गुफा चित्रों की खोज है, जिसने भारतीय पुरातत्व को वैश्विक पहचान दिलाई। 1958 में, एक रेल यात्रा के दौरान, हरिभाऊ ने मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित कुछ गुफाओं और चट्टानों को देखा।

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अत्याचार के विरुद्ध अद्वितीय साहस का प्रतीक गुरु तेगबहादुर

गुरु तेगबहादुर का बलिदान भारतीय इतिहास कभी नहीं भूलेगा, उनका बलिदान अत्याचार के विरुद्ध डटकर मुकाबला करने का प्रेरणा देता है। जब धर्म पर बात आए तो क्रूर शासक से भी समझौता नहीं किया जा सकता चाहे अपने प्राणों का बलिदान ही क्यों न करना पड़े।

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