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मधुमेह और इंसुलिन से जुड़े कलंक को मिटाने की चुनौती

कभी फुर्सत निकालकर गूगल सर्च पर दो शब्द टाइप करें-‘टाइप वन डायबिटीज’ और ‘सुसाइड’। सर्च रिजल्ट की जो लंबी सूची स्क्रीन पर उभरेगी, वह आपको चौंका देगी। पता लगेगा कि एक अदद बीमारी भी इन्सान को इतने अवसाद और भय से भर सकती है कि वह मौत को ही गले लगा ले। पहेली मगर यह है कि जिस बीमारी का पुख्ता इलाज दशकों पहले खोजा जा चुका, वह आज भी इस कदर डरावनी और मारक क्यों है?

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स्वाधीनता से अखंडता की ओर भारत का संघर्ष और संभावनाएँ

भारत पर शक, हूण, कुषाण एवं यवन के आक्रमण हुए, परंतु भारत पर उनके कुछ समय के शासन के पश्चात वे भारतीय सनातन संस्कृति में ही रच बस गए एवं भारत का हिस्सा बन गए। परंतु, अरब के देशों से मुसलमान एवं ब्रिटेन से अंग्रेजों के भारत पर चले शासन के दौरान उन्होंने भारतीय नागरिकों का बलात धर्म परिवर्तन करवाया, स्थानीय नागरिकों पर अकल्पनीय अत्याचार किए। भारत के बड़े बड़े प्रतिष्ठानों, मंदिरों एवं ज्ञान के स्थानों को नष्ट किया।

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दुर्बल नहीं, सबल बनो – स्वामी विवेकानंद

शक्ति, शक्ति, शक्ति, यही वह है जिसकी हमें जीवन में सर्वाधिक आवश्यकता है। कमजोर के लिए यहाँ कोई जगह नहीं हैं, न इस जीवन, न ही किसी और जीवन में । दुर्बलता गुलामी की ओर ले जाती है । दुर्बलता हर प्रकार की दुर्गति की ओर ले जाती है- शारीरिक और मानसिक । शक्ति ही जीवन है और दुर्बलता मृत्यु

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जैव विविधता संरक्षण में बाघों की भूमिका : क्यों है यह आवश्यक?

छत्तीसगढ़ में भी बाघों के होने की जानकारी मिलती रहती है, जैसे कुछ महीनों पूर्व बार नवापारा के जंगलों में विचरते एक बाघ का वीडियो वायरल हुआ था। 2023 के आंकड़ों के अनुसार, छत्तीसगढ़ में लगभग 19 बाघ हैं। यह संख्या गत वर्षों में थोड़ी कम हो गई है, जिसका मुख्य कारण बाघों के आवास में कमी और शिकार की घटनाएं हैं। यहाँ बाघों के आंकड़े घटते बढ़ते रहते हैं।

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भारतीय आर्थिक दर्शन के अनुरूप हो इस वर्ष का बजट

वित्तीय वर्ष 2024-25 का पूर्णकालिक बजट माननीय वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा भारतीय संसद में 23 जुलाई 2024 को पेश

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पूंजीवाद की आड़ में विश्व में फैल रहे साम्राज्यवादी नीतियों के भी घोर विरोधी थे डॉक्टर हेडगेवार

आज पूरे विश्व में पूंजीवाद की तूती बोल रही है। लगभग समस्त देश अपनी अर्थव्यवस्थाओं को पूंजीवाद के सिद्धांत के

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