इतिहास

futuredइतिहास

आजाद हिन्द सरकार स्थापना स्मरण दिवस 21 अक्टुबर

नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 21 अक्टूबर 1943 को आजाद हिन्द सरकार (Arzi Hukumat-e-Azad Hind) या भारतीय राष्ट्रीय अंतरिम सरकार की स्थापना की थी। यह सरकार नेताजी द्वारा सिंगापुर में घोषित की गई थी, और इसका उद्देश्य भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराना था।

Read More
futuredइतिहास

आहोम साम्राज्य की अनूठी स्थापत्य कला और परंपरा मोइदम

मोइदम (Moidams) असम राज्य के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर हैं। ये मोइदम ताई-अहोम राजाओं और उनके प्रमुख व्यक्तियों के मकबरे या समाधि हैं, जिन्हें उनके निधन के बाद निर्माण कराया गया था।

Read More
futuredइतिहास

पेन्ड्रा के धनपुर में टिकरे की खुदाई में मिली भगवान राम की प्रतिमा

धनपुर में सोमवार को जेसीबी से खेत की खुदाई के दौरान भगवान श्रीराम और लक्ष्मण की प्राचीन मूर्ति, पिलर और अन्य अवशेष मिले। किसान मंगल सिंह गोंड़ ने मूर्ति को सुरक्षित रख दिया है। इस स्थान से पहले भी पुरातात्विक महत्व की अन्य सामग्रियाँ भी प्राप्त होते रही हैं। इससे ज्ञात होता है कि यहां कोई पुराना नगर रहा होगा।

Read More
futuredइतिहासछत्तीसगढ

छत्तीसगढ़ में हैरिटेज वॉक श्रृंखला : रायपुर के इतिहास की खोज

रायपुर के इतिहास के बारे में बताया कि कलचुरि शासक ब्रह्मदेव के दो शिलालेख पंद्रहवीं सदी के आरंभिक वर्षों के हैं, जिनसे ब्रह्मदेव के वंश में उसके पिता रामचंद्र के क्रम में सिंहण और लक्ष्मीदेव की जानकारी मिलती है। रायपुर शहर का उल्लेख 1790 में आए अंग्रेज यात्री डेनियल रॉबिन्सन लेकी के यात्रा वृतांत में भी मिलता है, जिसमें उन्होंने बताया कि यहां बड़ी संख्या में व्यापारी और धनाढ्य लोग निवास करते हैं।

Read More
futuredइतिहास

एक ऐसा यंत्र जिसके बिना निर्माण कार्य प्राचीन काल में संभव नहीं था।

चूना पत्थर फ़ोड़ने पर घड़ घड़ की ध्वनि निकलने के कारण इसका नामकरण घराट हो गया। जब मनुष्य ने विकास के पायदान पर भवन निर्माण में चूने का महत्व जाना तो उसे मिलाने के “घरट” नामक यंत्र का अविष्कार किया।

Read More
futuredइतिहास

क्या आप जानते हैं कि रुपसूत्र किस विषय का ग्रंथ था

‘रूप’ शब्द का प्रयोग मूर्ति के अर्थ में मध्यकाल में मिलता है क्योंकि सूत्रधार मंडन ने 1450 ईस्वी में ‘रूपमंडन’ और सूत्रधार नाथा ने 1480 में “रूपाधिकार” नाम से मूर्तिकला पर ग्रंथ रचे। (वास्तुमंजरी : नाथाकृत, संपादक श्रीकृष्ण जुगनू) हालांकि अष्टाध्यायी में पाणिनि ने रूप शब्द का प्रयोग बताया है ( 5, 2, 120) तथा उससे बने ‘रूप्य’ शब्द का अभिप्राय ‘सुंदर’ एवं ‘आहत’ यानी मुहर युक्त बताया है।

Read More