छत्तीसगढ़ के लोक जीवन में बरखा ॠतु
छत्तीसगढ़ का अधिकांश भूभाग मैदानी है इसलिए यहां के जन जीवन में वर्षा का महत्वपूर्ण स्थान है। क्योंकि यहां का
Read Moreछत्तीसगढ़ का अधिकांश भूभाग मैदानी है इसलिए यहां के जन जीवन में वर्षा का महत्वपूर्ण स्थान है। क्योंकि यहां का
Read More‘लोकगीत’ धरती, पर्वत, फसलों, नदियों का राग है, प्रकृति की उन्मुक्त आवाज़ है जो उत्सवों, मेलों और त्योहारों में लोक समूहों के मधुर कंठों से गुंजारित होकर कानो में रस घोलती है। साहित्य की छंदबद्धता एवं अलंकारों से मुक्त रहकर ये मानवीय संवेदनाओं के संवाहक के रूप में माधुर्य प्रवाहित कर हमें तन्मयता के लोक में पहुँचा देते हैं।
Read Moreउड़ीसा प्राँत के पुरी में विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ रथयात्रा और रथोत्सव 7 जुलाई से आरंभ हो रहा है। जो 16
Read Moreमाना जाता है कि गांव में हर काम से पहले साहड़ा देव की पूजा की जाती है। आवाहन पूजन के दौरान गांव के युवा खेतों में नागर का प्रतिरुप चलाते हुए, सामूहिक रूप से सहाड़ा देवता की पूजा कर अच्छे फसल की कामना की।
Read Moreअक्ति तिहार छत्तीसगढ़ का प्रमुख कृषक त्यौहार है। अंचल में अक्ति तिहार से खेती-किसानी का प्रारंभ हो जाता है। अक्ति माने अक्षय तृतीया, यह बैशाख मास शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाने वाला त्यौहार है। वैसे तो यह त्यौहार पूरे भारत में मनाया जाता है। इसके मनाने के पीछे कई प्राचीन मान्यताएं हैं।
Read Moreजनजातीय संस्कृति का भी रामायण से नज़दीकी रिस्ता है। यहाँ कातकरी खुद को वानर सेना का वंशज मानते हैं। भील माता शबरी को अपना वंशज मानते हैं।सह्याद्रि क्षेत्र के वनवासी हर साल बोहाडा उत्सव मनाते हैं।
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