भारतीय संस्कृति में प्रकृति मानी जाती है जीवन का आधार
भारतीय संस्कृति प्रकृति को देवत्व का स्वरूप मानती है। वेद, पुराण, उपनिषद और महाकाव्यों में वन, उपवन, पशु और बीज को पवित्र बताया गया है।
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Read Moreयूनेस्को ने दीपावली को अपनी अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची में शामिल किया। यह फैसला भारत की प्राचीन परंपरा को वैश्विक मंच पर चमकाने वाला कदम है, जो सामाजिक एकता और पारंपरिक कला को मजबूत करता है।
Read Moreस्त्री सौंदर्य, अलंकरण और सोलह श्रृंगार की परंपरा वैदिक काल से भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रही है। जानिए कैसे यह श्रृंगार भावनात्मक, धार्मिक और सौंदर्यात्मक प्रतीक के रूप में विकसित हुआ।
Read Moreभगवान कृष्ण द्वारा बताए मार्गशीर्ष मास का पर्यावरणीय और आध्यात्मिक महत्व—प्रकृति, संतुलन और कृतज्ञता का संदेश देता महीना।
Read Moreलोककवि लक्ष्मण मस्तुरिया छत्तीसगढ़ की आत्मा की आवाज थे, जिन्होंने अपने गीतों और मधुर स्वरों से माटी, मया और मानवीय संवेदनाओं को जन-जन तक पहुँचाया। आज उनकी पुण्यतिथि पर छत्तीसगढ़ उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन करता है।
Read Moreछठ पूजा भारतीय संस्कृति का एक अनमोल रत्न है, जो सूर्य देव की उपासना के माध्यम से सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बनता है। प्रकृति पूजा, नारी सशक्तीकरण और पर्यावरण संरक्षण के आयामों से परिपूर्ण यह पर्व हमें सिखाता है कि सादगी में ही सच्ची समृद्धि छिपी है।
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