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बिहार के नवादा में दलितों के 20 से अधिक घरों में आगजनी, राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

बिहार के नवादा जिले में भूमि विवाद को लेकर लगभग २१ दलित परिवारों के घरों में आग लगा दी गई। इस मामले में अब तक १५  लोगों को हिरासत में लिया गया है और अन्य आरोपियों की तलाश में एसआईटी ने खोज अभियान शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कानून-व्यवस्था की समीक्षा के लिए पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) को नवादा भेजने का आदेश दिया है, ताकि घटनास्थल का निरीक्षण किया जा सके।

घटना का विवरण
यह घटना बुधवार को नवादा के मंझी टोला क्षेत्र में हुई, जो मुफस्सिल थाना क्षेत्र के अंतर्गत आता है। बताया गया कि कुछ उपद्रवियों ने एक-एक करके दलितों के घरों को आग के हवाले कर दिया। हालांकि, इस घटना में अब तक किसी के घायल होने की सूचना नहीं है। पुलिस ने बताया कि मामले की प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है और जांच जारी है। पुलिस ने अब तक १५ लोगों को हिरासत में लिया है और अन्य आरोपियों को पकड़ने के लिए खोज अभियान शुरू कर दिया है।

नवादा के पुलिस अधीक्षक अभिनव धीमान ने बताया, “हमें शाम ७:३० बजे सूचना मिली कि मंझी टोला में कुछ घरों में आग लगाई जा रही है। पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची और दमकल विभाग को भी बुलाया गया। आग बुझाने में कुछ समय लगा। गाँव वालों के अनुसार, एक समूह ने शाम ७ बजे के आसपास घरों को जलाना शुरू किया था।”

स्थिति नियंत्रण में
पुलिस ने दावा किया कि स्थिति अब नियंत्रण में है और किसी भी संभावित हिंसा को रोकने के लिए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। नवादा के जिला अधिकारी, अशुतोष कुमार वर्मा ने कहा, “हम प्रभावित लोगों को राहत सामग्री, भोजन और पीने का पानी प्रदान कर रहे हैं। अस्थायी टेंट भी लगाए गए हैं ताकि विस्थापित परिवारों को आश्रय मिल सके।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मवेशियों के जलने की खबरें निराधार हैं और इसका कोई सबूत नहीं मिला है।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
इस घटना पर विपक्षी नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे बिहार में एनडीए सरकार के जंगल राज का उदाहरण बताते हुए कहा, “नवादा में महादलित बस्ती पर दबंगों का आतंक एनडीए की दोहरी सरकार के जंगल राज का एक और प्रमाण है। रात के अंधेरे में १०० से अधिक दलित घरों में आग लगाई गई, फायरिंग की गई और गरीब परिवारों का सब कुछ छीन लिया गया। भाजपा और उसके सहयोगी दलों की दलितों और वंचितों के प्रति उदासीनता, अपराधी तत्वों का समर्थन और सामाजिक असुरक्षा को बढ़ावा देना अब चरम पर है। प्रधानमंत्री मोदी हमेशा की तरह चुप हैं, नीतीश कुमार सत्ता की लालच में लापरवाह हैं और एनडीए के सहयोगी मौन हैं।”

बसपा प्रमुख मायावती ने भी घटना की निंदा करते हुए इसे अत्यंत शर्मनाक और दलित विरोधी करार दिया है। उन्होंने कहा कि दलितों पर हो रहे ऐसे हमलों को रोकने के लिए सरकार को कड़े कदम उठाने चाहिए।

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