बस्तर दशहरा पर्व 2025 का कार्यक्रम
जगदलपुर, 10 सितम्बर 2025/ बस्तर की आस्था और परंपरा का प्रतीक बस्तर दशहरा पर्व 2025 का कार्यक्रम घोषित कर दिया गया है। लगभग 75 दिनों तक चलने वाला यह पर्व देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहेगा।
बस्तर दशहरा की शुरुआत 24 जुलाई 2025 को पाटजात्रा से हो गई है, जो माँ दन्तेश्वरी मंदिर से पारंपरिक ढंग से संपन्न की गई। अब निर्धारित तिथियों पर विभिन्न अनुष्ठान और धार्मिक आयोजन होंगे।
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24.07.2025 (गुरुवार) – पाटजात्रा का नेंग सुबह 11.00 बजे से दन्तेश्वरी मंदिर
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05.09.2025 (शुक्रवार) – डेरी गड़ाई की पूजा नेग, सुबह 11.00 बजे से सिरहासार मंदिर
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21.09.2025 (रविवार) – काछानगादी जात्रा नेंग, सुबह 11.00 बजे से दन्तेश्वरी मंदिर, नगर गोटुल पारा से
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22.09.2025 (सोमवार) – कलश स्थापना का नेग, सुबह 11.00 बजे से, सिरहासार मंदिर, बस्तर गोटुल पारा
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23.09.2025 (मंगलवार) – जोगी बिठाई का नेग, 5.00 बजे साँझ बेरा ले सिरहासार
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24.09.2025 से (बुधवार) – नवरात पूजा का नेग शुरु
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29.09.2025 (सोमवार) – फ़ूलरथ परिक्रमा का नेंग सांझ 5.00 बजे से रोज सिरहासार से गोल बाजार, गुरुगोविंद चौक, दन्तेश्वरी मंदिर तक)
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29.09.2025 (सोमवार) – बेल पूजा का नेंग, सुबह 11.00 बजे तक सरगी पाल बेल चबुतरा में
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30.09.2025 (मंगलवार) – महाअष्टमी पूजा का नेग, सुबह 11.00 बजे दिन माँ दन्तेश्वरी मंदिर, निशा जातरा का नेंग रात 10/30 से अनुपमा चौक, खेमेश्वरी गुड़ी
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01.10.2025 (बुधवार) – कुंवारी पूजा का नेग, सुबह 11.00 बजे दन्तेश्वरी मंदिर, जोगी उठाई का नेंग साँझ 5.00 बजे ले सिरहासार मंदिर भीतर, मावली परघाव 8 बजे रात कुटरुबाड़ा से गीदम रोड़
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02.10.2025 (गुरुवार) – भीतर रैनी पूजा नेग, सुबह 11.00 बजे दन्तेश्वरी गुड़ी, भीतर रैनी रथ निकासी नेग, साँझ 5.00 बजे सिरहासार मंदिर
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03.10.2025 (शुक्रवार) – बाहर रैनी पूजा नेग, सुबह 11.00 बजे ले कुमड़ाकोट भाटा
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04.10.2025 (शनिवार) – काछन जात्रा नेग अपरान्ह 11.00 बजे सिरहासार, मुरिया दरबार दोपहर 2 बजे
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05.10.2025 (रविवार) – कुटुम्ब जातरा नेग (गंगामुण्डा जात्रा), सुबह 11.00 बजे से महात्मा गाँधी स्कूल मैदान रोड, जगदलपुर
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07.10.2025 (मंगलवार) – मावली माता की बिदाई पूजा, सुबह 11.00 बजे दन्तेश्वरी मंदिर से, 12 बजे जिया ढोल से।
आस्था और परंपरा का अद्वितीय संगम
बस्तर दशहरा पर्व किसी एक दिन का आयोजन नहीं है, बल्कि यह ढाई महीने तक चलने वाला अनूठा उत्सव है। इसकी खासियत यह है कि यहाँ देवी दुर्गा की पूजा नहीं की जाती, बल्कि माँ दन्तेश्वरी की आराधना और परंपरागत अनुष्ठान पूरे श्रद्धा-भक्ति के साथ किए जाते हैं।
यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह बस्तर की आदिवासी संस्कृति, परंपरा, सामूहिकता और आस्था का भी जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करता है।
इस वर्ष भी दशहरा पर्व में हजारों श्रद्धालु, पर्यटक और शोधार्थी शामिल होंगे और बस्तर की इस अनूठी परंपरा के साक्षी बनेंगे।