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प्रयागराज कुंभ मेले का इतिहास, महत्व एवं महत्वपूर्ण स्नान तिथियाँ

कुंभ मेला मोक्ष प्राप्ति का माध्यम माना जाता है। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि संगम में स्नान करने से पापों का नाश होता है। साधु-संतों द्वारा दी गई शिक्षाएं और प्रवचन आत्मा की शुद्धि में सहायक होते हैं। यह मेला भारत की विविध संस्कृतियों और परंपराओं का संगम है।

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सामाजिक समरसता के अग्रदूत थे गुरु घासीदास

कहा जाता है कि गुरु घासीदास के आध्यात्मिक जागरण आंदोलन में बड़ी संख्या में साहू, यादव, मरार, लोहार सहित लगभग 75 जातियों के लोग जुड़े थे। ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार “गुरु घासीदास सामाजिक समरसता के अग्रदूत थे और उन्होंने अनेक जातियों को एकरस बना दिया था

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सामाजिक सहायता से आर्थिक समृद्धि तक हिंदू सनातन संस्कृति का योगदान

समाज में गरीब वर्ग के अन्य नागरिकों के लिए कोई चिंता का भाव दिखाई ही नहीं देता है। अतः भारत में समाज के नागरिकों द्वारा गरीब वर्ग के सहायतार्थ चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं को गति देने के प्रयास करने चाहिए, जिससे देश के विकास को और अधिक गति मिल सके।

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तुरमा गांव में महामाया मंदिर का जीर्णोद्धार और स्वच्छता अभियान का मोर्चा महिलाओं ने संभाला

महिला समूह के सदस्यों ने ग्रामवासियों को यह संदेश दिया कि प्रत्येक गांव में न्याय और आपसी भाईचारे की भावना को बनाए रखने के लिए समस्याओं का समाधान ग्राम स्तर पर ही करना चाहिए। इससे ग्रामवासी अनावश्यक रूप से थाना और कचहरी के चक्कर लगाने से बच सकते हैं।

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वन मंत्री ने नवनिर्मित वन मंदिर वाटिका का किया लोकार्पण

उल्लेखनीय है कि वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के तत्वाधान में बनाये गए वन मंदिर वाटिका में प्रकृति एवं संस्कृति के अनुठे संगम को चरितार्थ किया है। वाटिका में प्रवेश करते ही पर्यावरणीय और प्राकृतिक संरक्षण को दर्शाते हुए यहां भारतीय सांस्कृतिक के अनुरूप राशि-ग्रह-नक्षत्र के पौधे, बीमारियों के प्राकृतिक उपचार के लिए योग और औषधि युक्त पौधे की जानकारी देते हुए साइन बोर्ड लगाये गए है।

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विवेकानन्द केन्द्र बिलासपुर द्वारा गीता जयंती पर अमृत परिवार मिलन का आयोजन

बिलासपुर/ विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी, शाखा बिलासपुर द्वारा गीता जयंती के उपलक्ष्य में अमृत परिवार मिलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

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