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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की ‘भारत’ को प्राथमिकता देने की अपील: ‘इंडिया’ नहीं, केवल ‘भारत’ होना चाहिए देश का नाम

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने एक बार फिर देश के नाम को लेकर बहस को हवा दी है। संघ ने जोर देकर कहा है कि देश का नाम ‘भारत’ ही होना चाहिए, न कि ‘इंडिया’। RSS के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान इस पर अपनी राय व्यक्त करते हुए कहा, “अंग्रेजी में इसे इंडिया कहा जाता है, लेकिन भारतीय भाषाओं में इसे ‘भारत’ कहा जाता है। संविधान में ‘भारत’ का उल्लेख है, फिर क्यों इसे इंडिया कहा जाता है? यह सवाल उठाया जाना चाहिए और इसे ठीक किया जाना चाहिए। यदि देश का नाम भारत है, तो उसे केवल भारत ही कहा जाना चाहिए।”

होसबाले ने 2023 में G20 डिनर निमंत्रण का भी हवाला दिया, जिसमें राष्ट्रपति को “भारत के राष्ट्रपति” के रूप में संबोधित किया गया था। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि इस देश के तीन नाम हैं — भारत, इंडिया और हिंदुस्तान। उन्होंने कहा, “हम इसे भारत कहते हैं, हम इसे इंडिया कहते हैं, हम इसे हिंदुस्तान भी कहते हैं। हमें कोई भी नाम इस्तेमाल करने का अधिकार है, जो हमारे दिल में बसे।”

अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि “इंडिया” और “भारत” दोनों ही प्रधानमंत्री के विमान पर लिखे जाते हैं, और “इंडियन एयरफोर्स” तथा “इंडियन आर्मी” का भी उल्लेख किया जाता है, लेकिन हम “भारत” के संदर्भ में भी बात करते हैं।

RSS का भारत का पक्ष

RSS प्रमुख मोहन भागवत ने सितंबर 2023 में एक भाषण में लोगों से ‘भारत’ का ही प्रयोग करने की अपील की थी, न कि ‘इंडिया’ का। संघ का मानना है कि ‘भारत’ ही भारतीयों के लिए सांस्कृतिक और भाषाई संदर्भ में उपयुक्त नाम है, जबकि ‘इंडिया’ एक भौगोलिक शब्द था, जिसे बाहर से लाया गया था।

RSS के वरिष्ठ नेता अनुरंजन गांगुली ने इसे लेकर कांग्रेस द्वारा उठाए गए विवाद को “बेहद अप्रासंगिक विवाद” बताया। उन्होंने कहा, “भारत भारत का प्राकृतिक नाम है, यह भाजपा की विचारधारा का सवाल नहीं है। भारत के बारे में सभी भारतीय भाषाओं में यही कहा जाता है। अगर आप बंगाली साहित्य पढ़ेंगे तो आपको पता चलेगा कि भारत को क्या कहा जाता है।”

गांगुली ने यह भी कहा, “ब्रिटिशों ने कई नाम दिए थे, लेकिन बाद में श्रीलंका और म्यांमार जैसे देशों ने अपने नाम बदले। क्या इससे कोई समस्या हुई है?”

RSS का भारत से गहरा सांस्कृतिक जुड़ाव

RSS का ‘भारत’ शब्द के प्रति गहरा सांस्कृतिक जुड़ाव है। संघ के दूसरे सरसंघचालक एम एस गोलवलकर ने अपनी पुस्तक ‘Bunch of Thoughts’ में इस पर विस्तार से बात की थी। उन्होंने बताया कि ‘भारत’ का नाम हमारी मातृभूमि के लिए आदर्श है और इसे संस्कृति में गहरी अहमियत दी जाती है। गोलवलकर ने लिखा, “भारत का नाम हमारे लिए मां के नाम के समान है। यह हमारी मातृभूमि का प्रतीक है, और इसे सम्मानपूर्वक भारत कहा जाता है।”

RSS के दृष्टिकोण में कोई बदलाव नहीं

RSS के नेताओं का कहना है कि वे ‘भारत’ को ही प्राथमिकता देते हैं, चाहे वह हिंदी हो, मराठी, बंगाली या अन्य भारतीय भाषाएं। संघ ने हमेशा ‘भारत’ शब्द का प्रयोग अपनी अंग्रेजी रिपोर्ट्स और घोषणाओं में भी किया है। यहां तक कि RSS ने कभी भी अपनी कोई भी प्रस्तावना या संकल्प ‘इंडिया’ शब्द से नहीं की है, जबकि 1962 के बाद ‘भारत’ और ‘इंडिया’ दोनों का प्रयोग समान रूप से किया गया।

संघ के वरिष्ठ नेता इस बात पर जोर देते हैं कि यह कोई “भारत बनाम इंडिया” का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह ‘भारत’ की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान को पुनः स्थापित करने की कोशिश है, जो वर्षों से हमारे समाज में प्रचलित रही है।

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