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विपक्ष के ‘अविश्वास’ से जाएगी धनखड़ की कुर्सी, क्या है राज्यसभा का नंबर गेम?

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव चर्चा का केंद्र बन चुका है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67 बी के अनुसार, उपराष्ट्रपति को उनके पद से हटाने के लिए राज्यसभा के सदस्यों के बहुमत और लोकसभा की सहमति जरूरी होती है। इस प्रक्रिया के तहत विपक्ष ने 10 दिसंबर को धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। यह भारतीय राजनीति के इतिहास में पहला मौका है जब उपराष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है।

विपक्षी दलों का कहना है कि धनखड़ पक्षपाती रवैया अपनाते हुए सदन में विपक्षी आवाजों को दबाते हैं, जिससे लोकतंत्र की प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी समेत कई छोटे दलों ने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं। कुल मिलाकर 65 सांसदों ने इस अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन किया है, लेकिन क्या वे इसे सदन में पास करा पाएंगे? यही सवाल अब सभी की जुबान पर है।

राज्यसभा की कुल सदस्य संख्या 231 है, और बहुमत प्राप्त करने के लिए विपक्ष को कम से कम 116 सांसदों का समर्थन चाहिए। लेकिन वर्तमान में विपक्ष के पास केवल 70 सांसदों का समर्थन है। यानी, विपक्ष को 46 और सांसदों की आवश्यकता है, जो फिलहाल संभव नहीं लग रहा है। बीजेपी के पास खुद 95 सांसद हैं और अन्य एनडीए गठबंधन के दलों के साथ उनकी संख्या 120 से ऊपर है, जो बहुमत के लिए पर्याप्त है।

इससे साफ है कि विपक्ष के पास राज्यसभा में अविश्वास प्रस्ताव को पास कराने का पर्याप्त समर्थन नहीं है। हालांकि, यह राजनीतिक घटना इस बात का संकेत देती है कि विपक्ष अपनी राजनीति को धार देने के लिए इस तरह के कदम उठा रहा है, जिनका उद्देश्य सिर्फ ध्यान आकर्षित करना और सरकार को घेरना है।

विपक्ष के लिए यह एक बड़ा राजनीतिक संघर्ष हो सकता है, लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में यह प्रस्ताव राज्यसभा में टिक पाना मुश्किल लगता है।

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