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भारत-चीन के बीच हुआ नया समझौता

भारत और चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अपने सैनिकों को पीछे हटाने और फिर से पेट्रोलिंग शुरू करने के लिए एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों में पेट्रोलिंग से संबंधित है, जिसकी जानकारी विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने दी। यह समझौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा से पहले ही सामने आया है।

द्विपक्षीय वार्ता की संभावनाएँ

ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पीएम मोदी के बीच द्विपक्षीय वार्ता की संभावना पर टिप्पणी करते हुए विदेश सचिव ने बताया कि भारत और चीन के बीच पिछले कुछ हफ्तों से राजनयिक और सैन्य संवाद हो रहा है। उन्होंने कहा कि एलएसी के मुद्दों पर समझौता हुआ है, जिसमें सैनिकों की वापसी और पेट्रोलिंग की व्यवस्था शामिल है।

तनाव में कमी की संभावना

भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में पेट्रोलिंग को लेकर समझौता होने से दोनों देशों के बीच तनाव कम होने की उम्मीद है। पिछले कुछ हफ्तों से वार्ताकारों ने एलएसी के अन्य मुद्दों को सुलझाने के लिए लगातार संपर्क किया है।

लद्दाख विवाद का इतिहास

यह ध्यान देने योग्य है कि लद्दाख की गलवान घाटी में 15-16 जून 2020 को भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प में करीब 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे, जबकि चीन के करीब 40 सैनिकों की मृत्यु हुई। हालांकि, चीन ने अपने मृत सैनिकों की संख्या अब तक सार्वजनिक नहीं की है, जिससे दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव उत्पन्न हुआ था।

चीनी सेना की वापसी

चीनी सेना पहले ही गलवान घाटी सहित चार अन्य क्षेत्रों से पीछे हट चुकी है, जिसकी पुष्टि खुद चीन के विदेश मंत्रालय ने की है। मंत्रालय ने बताया कि रूस में हुई बैठक के दौरान दोनों देश द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के लिए एक साथ काम कर रहे हैं। अब सीमा पर स्थिति नियंत्रण में है।

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