जल जीवन मिशन: पेयजल संकट का समाधान
केंद्र सरकार ने पेयजल संकट को दूर करने के लिए जल जीवन मिशन की शुरूआत की है, जो मुख्य रूप से सघन बसाहटों के लिए कारगर सिद्ध होगा। हालांकि, कोरबा विकासखंड के फुटहामुड़ा, चीताबुड़ा, जामभांठा, सोनारी, कोरवापारा, पाली विकासखंड के बिरहोर मोहल्ला, डोंगानाला जंगलपारा और कटघोरा के समेलीभांठा जैसे गांवों में, जहां परिवारों की संख्या केवल आठ से दस है, पेयजल की व्यवस्था अभी भी कमजोर है।
इन गांवों के निवासी आज भी लंबी दूरी तय करके ढोंढी से पानी लाने के लिए मजबूर हैं। गर्मी के मौसम की शुरुआत होते ही जल संकट गहरा जाता है। जल जीवन मिशन की शुरूआत से पहले, हैंडपंप उत्खनन के लिए निर्धारित लक्ष्य में कमी आई थी, जिससे विरल बसाहटों में रहने वाले पिछड़ी जनजातियों के लिए हैंडपंप की सुविधा प्राप्त नहीं हो पाई थी। अब, हैंडपंप उत्खनन की स्वीकृति मिलने से इन क्षेत्रों में पेयजल की किल्लत दूर होगी। नवंबर माह से कार्य शुरू कर अप्रैल तक इसे पूरा करने की योजना है।
विशेष रूप से, माखनपुर और मांगामार जैसे गांवों को जल जीवन मिशन के तहत शामिल किया जाएगा, भले ही यहां विशेष पिछड़ी जनजातियों की विरल बसाहट हो। सघन बसाहटों के निकटता के कारण यह निर्णय लिया गया है। जल आपूर्ति सुनिश्चित होने से आदिवासी परिवारों को प्रदूषित पेयजल के संकट से मुक्ति मिलेगी, जिससे डायरिया और अन्य जल जनित बीमारियों से राहत मिलेगी और जीवन स्तर में सुधार होगा।
जल जीवन मिशन के तहत, डेढ़ सौ परिवारों के लिए एक हैंडपंप की सुविधा निर्धारित की गई है। इस योजना के लागू होने से लोगों की हैंडपंप पर निर्भरता कम हुई है। हालांकि, विशेष पिछड़ी जनजाति की बसाहटों में परिवारों की संख्या कम होने से एक हैंडपंप पर्याप्त साबित होगा। इस प्रकार, जल जीवन मिशन न केवल पेयजल की समस्या को हल करने में मदद करेगा, बल्कि समुदायों के स्वास्थ्य और जीवन स्तर में भी सुधार लाएगा।