मन है हिन्दू तन है हिन्दू
मन है हिन्दू तन है हिन्दू
धमनी में बहता रूधिर है हिन्दू
हिन्दू को सिर्फ धर्म न समझो
जीने का आदर्श है हिन्दू
हिन्दू हिंदी हिंन्दीस्तान के
स्वप्नों को हमने देखा है,
सार्वभौमिकता के सिंद्धातों से
वतन को हमने सींचा है।
नहीं खींची कभी नफरत रेखा
सबको गले लगाया है
दया करुणा का रस है हिन्दू
प्रेम ही सबको सिखाया है
जिस हिन्दू ने सहिष्णुता का
सन्देश जहां को सिखलाया
विवेकानंद जी ने उदघोष कर
परचम हिन्दू लहराया
जहां दधीचि का त्याग भरा है
राम का जहां आदर्श रखा है
कृष्ण के गीता उपदेश यहीं है
वेदों का यहां ज्ञान बसा है
गर्व मुझे मैं हिन्दू हूं
भारत मेरा अभिमान है
पतित पावन मेरी मातृभमि
हृदय में बसता हिंदुस्तान है।
@अवि
अविनाश तिवारी
अमोरा
जांजगीर चाम्पा